利未记 26 – CCB & HCV

Chinese Contemporary Bible (Simplified)

利未记 26:1-46

遵行诫命蒙祝福

1“你们不可为自己制造偶像,不可竖立神像和神柱,也不可在你们境内安放祭拜用的石像。我是你们的上帝耶和华。 2你们要守我的安息日,敬畏我的圣所。我是耶和华。 3如果你们遵行我的律例,持守我的诫命, 4我就按时降雨给你们,使土地长出庄稼、果树结出果实。 5你们要打粮食打到摘葡萄的时候,摘葡萄摘到播种的时候。你们必丰衣足食,安然居住。

6“我要使你们得享太平,安枕无忧。我要除掉你们境内的猛兽,也要使你们免遭刀剑之灾。 7你们将追赶仇敌,使他们倒在你们刀下。 8你们五人要追赶一百人,一百人要追赶一万人,他们必死在你们刀下。 9我要眷顾你们,使你们生养众多,也要坚守与你们所立的约。 10你们存粮很多,甚至要搬出陈粮来储存新粮。 11我要住在你们中间,我必不厌弃你们。 12我要在你们中间往来。我要做你们的上帝,你们要做我的子民。 13我是你们的上帝耶和华。我曾带领你们离开埃及,使你们不再做埃及人的奴隶。我打碎了压在你们身上的重轭,使你们能昂首挺胸、扬眉吐气。

违背诫命受惩罚

14“如果你们不听从我,不遵行我的这一切诫命; 15如果你们拒绝遵守我的律例,厌弃我的典章,不听从我的命令,破坏我与你们所立的约, 16我要惩罚你们,使你们陷入恐慌、患痨病和热症,使你们眼睛昏花、心力衰竭。你们撒种却一无所获,因为敌人要吃尽你们所种的。 17我要严惩你们,使你们败在敌人手下;你们要被那些恨你们的人统治,即使没有人追赶,你们也要逃命。

18“如果你们受过这些惩罚,仍然不知悔改,我要把比先前严厉七倍的惩罚加在你们身上。 19我要重挫你们的傲气,使你们头上的天如铁,脚下的地如铜。 20你们劳作也是徒然,因为你们的土地必不长庄稼,果树也不结果实。

21“如果你们仍然与我作对,不肯听从我,我要把比先前严重七倍的灾难降在你们身上。 22我要让野兽残害你们的子女,吞噬你们的牲畜,使你们人口锐减,路上杳无人迹。

23“如果你们还是与我作对, 24我也要与你们作对,用比先前严重七倍的灾难击打你们。 25因为你们毁约,我要用战祸报应你们。你们躲进各城的时候,我要在你们中间降下瘟疫,使你们落在敌人手里。 26我要断绝你们的粮源。那时候,十个妇女将用一个烤炉烤饼,按定量分饼给你们,你们吃却吃不饱。

27“如果你们仍然不肯听从我,继续与我作对, 28我也要与你们作对,向你们发烈怒,把比先前严厉七倍的惩罚加在你们身上。 29你们要吃自己儿女的肉。 30我要毁灭你们的丘坛,拆掉你们的香坛,把你们的尸体堆在你们毫无气息的神像上。我厌恶你们。 31我要使你们的城邑沦为废墟,使你们的敬拜场所荒凉,也不再悦纳你们的馨香之祭。 32我要使你们的土地荒废,连占据那里的敌人也为此而震惊。 33我要把你们驱散到各国,还要拔刀追杀你们。你们的土地将荒废,城邑将沦为废墟。 34你们被掳到敌国的时候,你们的土地将荒废,享受安息。 35你们住在那里的时候,没有在安息年让土地安息,因此土地在荒废的日子里将享受安息。

36“我要使你们当中的那些幸存者在敌国心惊胆战,过着风声鹤唳、惶恐不安的生活。 37即使无人追赶,他们也将仓皇逃命,互相绊倒,如同躲避刀剑一样。你们必无力抵挡敌人。 38你们将葬身列国,死在敌人的土地上。 39你们当中的幸存者将因自己的罪和祖先的罪而消亡在敌人的土地上。

认罪悔改蒙眷顾

40“如果他们承认自己和祖先的罪,就是背叛我、与我作对的恶行—— 41以致我与他们作对,把他们流放到敌国;如果他们顽固26:41 顽固”希伯来文是“未受割礼”。的心谦卑下来,甘愿接受刑罚, 42我便履行我与亚伯拉罕以撒雅各所立的约,眷顾那片土地。 43土地被他们离弃,荒无人烟,得享安息。他们却要因拒绝遵守我的典章、厌弃我的律例而饱受惩罚。 44然而,他们流落敌国的时候,我不会弃绝他们,不会因厌恶而毁灭他们,也不会违背我与他们所立的约。我是他们的上帝耶和华。 45我必为他们的缘故履行我与他们祖先所立的约。我曾在列国面前带领他们的祖先离开埃及,为要做他们的上帝。我是耶和华。”

46以上是耶和华借摩西西奈山上颁布给以色列人的律例、典章和法度。

Hindi Contemporary Version

लेवी 26:1-46

आज्ञाकारिता की आशीषें

1“ ‘न तो तुम अपने लिए मूरतें बनाओगे और न ही किसी खुदी हुई मूरत अथवा पवित्र पत्थर बनाओगे और न ही उसके सामने झुकने के उद्देश्य से किसी पत्थर में से मूरत गढ़ोगे; क्योंकि मैं याहवेह ही तुम्हारा परमेश्वर हूं.

2“ ‘तुम मेरे शब्बाथों का पालन करो और मेरे पवित्र स्थान का सम्मान; मैं ही याहवेह हूं.

3“ ‘यदि तुम मेरी विधियों का पालन करोगे और मेरी आज्ञाओं का पालन कर उन्हें व्यवहार में लाओगे, 4तो मैं वर्षा ऋतु में तुम्हें बारिश दिया करूंगा, जिसके परिणामस्वरूप भूमि अपनी उपज और मैदान के वृक्ष फल उत्पन्‍न करेंगे. 5तुम्हारी दांवनी तुम्हारी अंगूर की उपज इकट्ठा करने तक चलेगी और तुम्हारी अंगूर की उपज, बीज बोने तक. इस प्रकार तुम भरपेट भोजन करोगे और इस प्रकार तुम इस देश में सुरक्षापूर्वक निवास कर सकोगे.

6“ ‘देश में मेरे द्वारा दी गई शांति बसेगी, जिससे कि तुम आराम कर सको. कोई तुम्हें भयभीत न करेगा. मैं उस देश से हिंसक पशुओं को भी दूर कर दूंगा और तुम्हारे देश में कोई भी तलवार से मारा न जाएगा. 7किंतु तुम अपने शत्रुओं का पीछा करोगे और वे तलवार के वार से तुम्हारे सामने मारे जाएंगे; 8तुममें से पांच एक सौ को और एक सौ दस हज़ार को खदेड़ डालेंगे और तुम्हारे शत्रु तलवार के वार से तुम्हारे सामने मारे जाएंगे.

9“ ‘फिर मैं तुम्हारी ओर कृपादृष्टि करूंगा और तुम्हें फलवंत कर तुम्हारी संख्या बहुत बढ़ाऊंगा और तुम्हारे साथ की गई मेरी वाचा को पूरी करूंगा. 10तुम पुरानी उपज को खाओगे और नई उपज को स्थान देने के उद्देश्य से पुरानी को हटा दोगे. 11इसके अलावा मैं तुम्हारे बीच निवास करूंगा26:11 निवास करूंगा यानी मिलाप का तंबू रखूंगा और मेरा प्राण तुमसे घृणा न करेगा. 12मैं तुम्हारे बीच चला फिरा भी करूंगा. मैं तुम्हारा परमेश्वर हो जाऊंगा और तुम मेरी प्रजा. 13मैं याहवेह ही तुम्हारा परमेश्वर हूं, जो तुम्हें मिस्र देश से निकालकर लाया है कि तुम मिस्रियों के दास न बने रह जाओ, मैंने तुम्हारे जूए की पट्टियों को तोड़ दिया है और तुम्हें सीधा होकर चलने में समर्थ किया है.

अनाज्ञाकारिता का दंड

14“ ‘किंतु यदि तुम मेरी न सुनोगे और इन सारी आज्ञाओं का पालन नहीं करोगे, 15यदि तुम मेरी विधियों को नकार दोगे; तुम्हारे प्राण मेरे निर्णयों को इतना तुच्छ जानें कि तुम मेरी सारी आज्ञाओं का पालन करना ही छोड़ दो और इस प्रकार मेरी वाचा को तोड़ ही डालो, 16तो निश्चित ही मैं तुम्हारे साथ यह करूंगा कि मैं तुमको अचानक ही आतंक, क्षय रोग और ज्वर-पीड़ित कर दूंगा, जिसके कारण तुम्हारी आंखें धुंधली हो जाएंगी तथा तुम्हारे प्राण मुरझा जाएंगे, तुम्हारा बीजारोपण भी व्यर्थ ही होगा क्योंकि तुम्हारे शत्रु इसको खा लेंगे. 17मैं तुम्हारे विरुद्ध हो जाऊंगा, जिससे तुम्हारे शत्रु तुम्हें हरा देंगे और जो तुमसे घृणा करते हैं, वे तुम पर शासन करेंगे. जब तुम्हारा पीछा कोई भी न कर रहा होगा, तब भी तुम भागते रहोगे.

18“ ‘इतना सब होने पर भी यदि तुम मेरी आज्ञा नहीं मानोगे, तो मैं तुम्हें तुम्हारे पापों का सात गुणा दंड दूंगा. 19मैं तुम्हारे बल के घमण्ड़ को समाप्‍त कर दूंगा और तुम्हारे आकाश को लोहे के समान और तुम्हारी भूमि को कांसे के समान बना दूंगा. 20तुम्हारे द्वारा की गई मेहनत बेकार होगी क्योंकि तुम्हारी भूमि अपनी उपज पैदा न करेगी और न ही देश के वृक्ष अपना फल उत्पन्‍न करेंगे.

21“ ‘इतना होने पर भी यदि तुम अपना स्वभाव मेरे विरुद्ध ही रखोगे और मेरी आज्ञा न मानोगे, तो मैं तुम्हारे पापों के अनुसार तुम पर महामारी में सात गुणा वृद्धि कर दूंगा. 22मैं तुम पर जंगली जानवर भेज दूंगा, जो तुम्हें संतानहीन बना डालेंगे और तुम्हारे पशुओं को नष्ट कर डालेंगे. वे तुम्हारी संख्या इतनी कम कर देंगे, कि तुम्हारे रास्ते निर्जन रह जाएंगे.

23“ ‘यदि इस ताड़ना के बाद भी तुम मेरी ओर न मुड़े, बल्कि मेरे विरुद्ध शत्रुता भाव ही बनाए रखा, 24तो मैं भी तुमसे शत्रुता भाव रखूंगा और मैं, हां मैं, तुम्हारे पापों के कारण तुम पर सात गुणा आक्रमण करूंगा. 25मैं तुम पर एक तलवार भेजूंगा, जो वाचा को तोड़ने का पूरा बदला लेगी. जब तुम अपने नगरों में इकट्‍ठे होंगे, मैं तुम्हारे बीच महामारी भेजूंगा, और तुम शत्रुओं के अधीन कर दिए जाओ. 26जब मैं तुम्हारे भोजन के आधार को दूर कर दूंगा, तब दस महिलाएं एक ही चूल्हे पर रोटी सेकेंगी और वे इन्हें तोल-तोल कर छोटी संख्या में बांट देंगी, कि तुम उनको खाओगे, परंतु तृप्‍त न होंगे.

27“ ‘इतना सब होने पर भी यदि तुम मेरी आज्ञा का पालन नहीं करोगे, बल्कि मेरे विरुद्ध शत्रु सा व्यवहार ही बनाए रखोगे, 28तब मैं अत्यंत क्रोधित होकर तुमसे शत्रुता रखूंगा और मैं, हां मैं, तुम्हारे पापों के लिए तुम्हें सात गुणा दंड दूंगा. 29तुम अपने पुत्रों के मांस को खाओगे और हां, तुम अपनी पुत्रियों के मांस को खाओगे. 30मैं तुम्हारे ऊंचे पूजा स्थलों को नाश कर, तुम्हारी धूप वेदियों को तोड़ दूंगा, मैं तुम्हारे शवों को तुम्हारी मूर्तियों के ढेर पर फेंक दूंगा, और मेरा आत्मा तुमसे घृणा करेगा. 31मैं तुम्हारे नगरों को भी उजाड़ दूंगा और तुम्हारे पवित्र स्थानों को सूना कर दूंगा, मैं तुम्हारी सुखद-सुगंध को स्वीकार नहीं करूंगा. 32मैं तुम्हारे नगरों को सूना बना दूंगा जिससे कि तुम्हारे शत्रु जो वहां बसने आएंगे, इसे देख भयभीत हो जाएंगे. 33तुम जाति-जाति के बीच बिखर जाओगे और तलवार तुम्हारा पीछा करेगी, तुम्हारा देश निर्जन और तुम्हारे नगर उजाड़ हो जाएंगे. 34-35तुम्हारे इस भूमि पर निवास करने की स्थिति में, भूमि को जो विश्राम तुम्हारे शब्बाथों में प्राप्‍त नहीं हुआ था, वह उस विश्राम अब, इस पूरे खाली समय की अवधि में, प्राप्‍त होगा. इस प्रकार भूमि को अपने शब्बाथ प्राप्‍त हो जाएंगे. जब तुम अपने शत्रुओं के देश में जाओगे, तब सूनेपन की अवस्था में भूमि अपने शब्बाथों का आनंद उठाएगी.

36“ ‘तुममें जो बचे रह गए होंगे, मैं उनके शत्रुओं के देश में उनका मनोबल इतना कमजोर कर दूंगा कि वे हवा के द्वारा छितराए पत्ते की खड़खड़ाहट सुनकर भाग खड़े होंगे. जब कोई उनका पीछा भी नहीं कर रहा होगा, तो भी वे भाग खड़े होंगे, मानो कोई तलवार लिए उनका पीछा कर रहा हो और वे गिर-गिर पड़ेंगे. 37वे लड़खड़ा कर एक दूसरे पर ऐसे गिरेंगे, मानो वे तलवार से भाग रहे हों, जबकि कोई भी उनका पीछा नहीं कर रहा होगा; तुम्हारे शत्रुओं के सामने खड़ा होने के लिए तुम्हारे अंदर शक्ति न बचेगी. 38तुम बंधुआई में देशों के बीच नाश हो जाओगे और तुम्हारे शत्रुओं का देश तुम्हें चट कर डालेगा; 39तुममें से जो बचे रह जाएंगे, वे अपने और उनके पुरखों के अधर्म के कारण उनके शत्रुओं के देश में गल जाएंगे.

40“ ‘यदि वे अपनी और अपने पूर्वजों के उन अधर्मों को स्वीकार कर लेंगे, जो उन्होंने अपने विश्वासघात और मेरे विरुद्ध शत्रु के भाव की स्थिति में की थी, 41जिससे मैंने भी उनके विरुद्ध हो उन्हें उनके शत्रुओं के देश में बसा दिया; अथवा उनका खतना-रहित हृदय इस प्रकार दब जाए कि वे अपने अधर्मों के लिए प्रायश्चित्त कर लें, 42तो मैं याकोब के साथ अपनी वाचा को, यित्सहाक के साथ अपनी वाचा को और अब्राहाम के साथ अपनी वाचा को, और इस देश को भी स्मरण करूंगा. 43किंतु उनके निकल जाने के कारण यह देश सूना हो जाएगा, कि यह भूमि अपने शब्बाथों के नुकसान की पूर्ति कर ले. इसी अवधि में वे अपने अधर्मों के लिए प्रायश्चित करेंगे; क्योंकि उन्होंने मेरे नियमों को नकार दिया था और मेरी विधियों से घृणा की थी. 44इतना होने पर भी, जब वे अपने शत्रुओं के देश में होंगे, तब भी मैं उनको नहीं छोडूंगा और न ही उनसे इतनी घृणा करूंगा कि मैं उनका नाश कर दूं और उनके साथ अपनी वाचा को भंग करूं. मैं ही याहवेह, उनका परमेश्वर हूं. 45मैं उनके उन पूर्वजों से की गई वाचा को स्मरण करूंगा, जिन्हें मैं जातियों के देखते-देखते मिस्र से निकालकर लाया था कि मैं उनका परमेश्वर हो जाऊं. मैं ही याहवेह हूं.’ ”

46यही वे विधियां, व्यवस्था और नियम हैं, जिन्हें याहवेह ने, मोशेह के द्वारा सीनायी पर्वत पर अपने और इस्राएल के घराने के बीच ठहराई.