利未记 19 – CCB & HCV

Chinese Contemporary Bible (Simplified)

利未记 19:1-37

有关圣洁生活的条例

1耶和华对摩西说: 2“你把以下条例告诉以色列全体会众。

“你们要圣洁,因为我——你们的上帝耶和华是圣洁的。 3你们每个人都必须孝敬父母,遵守我的安息日。我是你们的上帝耶和华。 4不要祭拜虚无的神明,也不要为自己铸造神像。我是你们的上帝耶和华。 5你们献平安祭给我时,要使你们所献的蒙悦纳。 6要在献祭当天或第二天吃完祭物。如果第三天还有剩余,都要烧掉。 7如果有人第三天还吃那些祭物,祭物就不洁净,我不会悦纳。 8那人要自担罪责,因为他亵渎了我的圣物。要将他从民中铲除。

9“你们收割的时候,不要割净田角地边的庄稼,也不要捡那些掉在田里的穗子。 10不要摘净葡萄园里的葡萄,也不要捡掉在地上的葡萄。要把这些留给穷人和寄居在你们中间的外族人。我是你们的上帝耶和华。 11不可偷盗,不可撒谎,不可互相欺骗。 12不可以我的名义起假誓,从而亵渎你们上帝的名。我是耶和华。 13不可欺压邻居,也不可抢夺他的东西。要当天支付雇工的工钱,不可拖到第二天。 14不可咒骂聋子,也不可绊倒盲人,应当敬畏你们的上帝。我是耶和华。 15不可徇私枉法,不可偏袒穷人,不可谄媚权贵之人,要秉公审判。 16不可到处搬弄是非,不可危害邻居的生命安全。我是耶和华。 17对同胞不可心中怀恨。同胞有错,要当面指正,免得自己因他而担罪。 18不可报复,不可埋怨同胞,要爱邻如己。我是耶和华。

19“你们要遵守我的律例。不可让牲畜杂交;不可在同一块田播撒两种不同的种子;不可穿两种材料织成的衣服。

20“一个已经许配人的婢女尚未被赎或未获自由时,如果有人与她同寝,就要受到处罚,但不可处死他们,因为那婢女还未获自由。 21和她同寝的人要把一只公绵羊牵到会幕门口,作为赎过祭献给耶和华。 22祭司要用作赎过祭的公绵羊为那人赎罪,他的罪便得到赦免。

23“你们到了迦南,在那里栽种各样果树后,前三年不可吃树上的果子,要视它们是不洁净的19:23 不洁净的”希伯来文是“未受割礼的”。24第四年,树上的所有果子都是圣洁的,要献给耶和华作颂赞之祭。 25第五年,你们可以吃树上的果子。你们这样做,果树会为你们结出更多果子。我是你们的上帝耶和华。

26“不可吃带血的肉,不可占卜或行巫术。 27不可修剪鬓角或胡须。 28不可因哀悼死人而割伤身体或纹身。我是耶和华。 29不可辱没自己的女儿,使她沦为娼妓,免得你们居住的地方充满淫乱和邪恶。 30要遵守我的安息日,敬畏我的圣所。我是耶和华。 31不可求问灵媒或巫师,玷污自己。我是你们的上帝耶和华。

32“在年长者面前,要恭敬站立,要敬重年长者。要敬畏你们的上帝。我是耶和华。 33不可欺负住在你们境内的外族人, 34要视他们如同胞,爱他们如爱自己,因为你们也曾经寄居埃及。我是你们的上帝耶和华。 35在称重和度量时,不可骗人。 36要使用准确的秤、尺子和升斗。我是你们的上帝耶和华,曾带领你们离开埃及37你们要遵行我的一切律例和典章。我是耶和华。”

Hindi Contemporary Version

लेवी 19:1-37

पवित्रता एवं न्याय के विषय में

1याहवेह ने मोशेह को यह आदेश दिया, 2“इस्राएल वंशजों की पूरी सभा को यह आदेश दो, ‘पवित्र बनो, क्योंकि मैं याहवेह, तुम्हारा परमेश्वर पवित्र हूं.

3“ ‘तुममें से हर एक अपने माता-पिता का सम्मान करे और मेरे शब्बाथों का पालन करे; मैं याहवेह ही तुम्हारा परमेश्वर हूं.

4“ ‘मूरतों की ओर न फिरना, और न स्वयं के लिए धातु के देवता गढ़ना; मैं याहवेह ही तुम्हारा परमेश्वर हूं.

5“ ‘जब तुम याहवेह को मेल बलि भेंट करो, तो इसे इस रीति से भेंट करो कि वह स्वीकार किए जाओ. 6जिस दिन तुम इसे भेंट करो, उसी दिन तथा उसके अगले दिन इसको खाया जाए, किंतु जो तीसरे दिन तक बचा हुआ है, उसको आग में जला दिया जाए. 7पर तीसरे दिन तक बचा हुआ मांस को खाया जाना स्वीकार नही किया जाएगा, क्योंकि यह अशुद्ध है. 8ऐसा हर एक व्यक्ति, जो इसको खाता है, वह अपने अधर्म का भार स्वयं उठाएगा, क्योंकि उसने याहवेह की पवित्र वस्तु को अशुद्ध किया है, तब उस व्यक्ति को प्रजा से बाहर निकाल दिया जाए.

9“ ‘जब तुम अपने देश में पहुंचने के बाद, उपज इकट्ठा करोगे, तो तुम अपने खेतों के कोने-कोने तक की उपज इकट्ठा न कर लेना, न ही उपज की सिल्ला. 10न ही अपनी अंगूर की बारी से सारे अंगूर इकट्ठा कर लेना, और न ही अपनी अंगूर की बारी के नीचे गिरे हुए फलों को इकट्ठा करना; तुम उन्हें दरिद्रों तथा विदेशियों के लिए छोड़ देना. मैं याहवेह ही तुम्हारा परमेश्वर हूं.

11“ ‘तुम चोरी न करना.

“ ‘न ही धोखा देना.

“ ‘न एक दूसरे से झूठ बोलना.

12“ ‘तुम मेरे नाम की झूठी शपथ न लेना और इस प्रकार अपने परमेश्वर का नाम अशुद्ध न करना; मैं ही याहवेह हूं.

13“ ‘तुम अपने पड़ोसी को न लूटना.

“ ‘न ही उसकी किसी वस्तु को ज़बरदस्ती छीनना. भाड़े पर लाए गए किसी मज़दूर की मजदूरी तुम्हारे पास रात से सुबह तक रखी न रह जाए.

14“ ‘तुम किसी बहिरे को शाप न देना, न ही अंधे के सामने ठोकर का पत्थर रखना, परंतु अपने परमेश्वर की आज्ञा का पालन करना; मैं ही याहवेह हूं.

15“ ‘तुम निर्णय देने में अन्याय न करना; तुम दरिद्र के प्रति भेद-भाव न करना, न ही ऊंचे लोगों का सम्मान तुम्हारे निर्णय को प्रभावित करने पाए, परंतु तुम अपने पड़ोसी का सही प्रकार से न्याय करना.

16“ ‘तुम अपने लोगों के बीच निंदा करते न फिरना.

“ ‘यदि तुम्हारे पड़ोसी का जीवन खतरे में हो तो तुम शांत न बने रहना; मैं ही याहवेह हूं.

17“ ‘अपने भाई से घृणा न करना; तुम अपने पड़ोसी को फटकार अवश्य लगाना; ऐसा न हो कि उसके पाप के दोष तुम पर आ जाए.

18“ ‘बदला न लेना, और न ही अपने लोगों की संतान से कोई बैर रखना, परंतु तुम अपने पड़ोसी से वैसा ही प्रेम करना, जैसा प्रेम तुम्हें स्वयं से है; मैं ही याहवेह हूं.

19“ ‘मेरी विधियों का पालन करना.

“ ‘तुम अपने पशुओं में दो भिन्‍न प्रकार के पशुओं का मेल न कराना;

“ ‘तुम अपने खेत में दो भिन्‍न प्रकार के बीज न बोना.

“ ‘न ही वह वस्त्र पहनना, जिसमें दो प्रकार की सामग्रियों का मिश्रण किया गया हो.

20“ ‘यदि कोई व्यक्ति उस स्त्री से, जो दासी है और किसी अन्य की मंगेतर है, तथा किसी भी प्रकार से उसका दाम नहीं चुकाया गया, न ही उसे स्वतंत्र किया गया है, सहवास कर लेता है, तब उन्हें दंड तो दिया जाएगा किंतु मृत्यु दंड नहीं, क्योंकि वह स्त्री उस समय दासत्व में थी. 21वह व्यक्ति मिलनवाले तंबू के द्वार पर दोष बलि के लिए एक मेढ़ा याहवेह को भेंट करे. 22फिर पुरोहित दोष बलि के उस मेढ़े के साथ याहवेह के सामने उस व्यक्ति तथा उसके द्वारा किए गए पाप के लिए प्रायश्चित पूरा करे, तब उसके द्वारा किया गया पाप क्षमा कर दिया जाएगा.

23“ ‘जब तुम उस देश में प्रवेश करके सभी प्रकार के खानेवाले फलों के वृक्षों को उगाओगे, तो याद रहे कि इन बोए हुए वृक्षों के फल तुम्हारे लिए वर्जित होंगे. पहले तीन वर्षों के लिए ये फल तुम्हारे लिए वर्जित होंगे; इनको न खाया जाए. 24किंतु चौथे वर्ष इसके सारे फल याहवेह की स्तुति में भेंट पवित्र फल होंगे. 25पांचवें वर्ष तुम इनको खा सकते हो कि यह तुम्हें बहुत मात्रा में फल दे सके; याहवेह तुम्हारा परमेश्वर मैं ही हूं.

26“ ‘तुम किसी भी वस्तु को लहू के साथ न खाना.

“ ‘न ही शकुन विचारना अथवा जादू-टोना करना.

27“ ‘तुम अपनी कनपटी के बाल न कतरना और न अपनी दाढ़ी को किनारों से काटना.

28“ ‘मृतकों के लिए तुम अपनी देह में कोई चीरा न लगवाना, न ही कोई चिन्ह गुदवाना: मैं ही याहवेह हूं.

29“ ‘अपनी पुत्री को वेश्या बनाकर उसे भ्रष्‍ट न करना, ऐसा न हो कि देश में वेश्यावृत्ति भर जाए, और यह कामुकता से परिपूर्ण हो जाए.

30“ ‘तुम मेरे शब्बाथों का पालन करो और मेरे पवित्र स्थान का सम्मान; मैं ही याहवेह हूं.

31“ ‘तुम ओझाओं और तांत्रिकों की ओर न फिरना; उनकी खोज करने के द्वारा तुम स्वयं को दूषित न कर लेना. मैं ही याहवेह तुम्हारा परमेश्वर हूं.

32“ ‘तुम बूढ़े व्यक्ति के सामने खड़े हुआ करो, और बूढ़ों की उपस्थिति का सम्मान करना, तथा अपने परमेश्वर का भय मानना; मैं ही याहवेह हूं.

33“ ‘जब कोई अपरिचित तुम्हारे बीच तुम्हारे देश में रहता है, तो तुम उसके साथ अन्याय न करना. 34जो अपरिचित तुम्हारे बीच में रह रहा है, तुम्हारे लिए वह तुम्हारे मध्य एक स्वदेशी के समान हो, और तुम उससे वैसा ही प्रेम करना; जैसा तुम स्वयं से करते हो, क्योंकि मिस्र देश में तुम परदेशी थे; मैं याहवेह ही तुम्हारा परमेश्वर हूं.

35“ ‘तुम न्याय करने, नापतोल तथा मात्रा में अन्याय न करना. 36तुम्हारी तुला, बाट, किलो और लीटर यथार्थ हों; मैं याहवेह ही तुम्हारा परमेश्वर हूं, जो तुम्हें मिस्र देश से निकालकर लाया हूं.

37“ ‘फिर तुम मेरी विधियों और सभी नियमों का पालन करना और उनको मानते रहना; मैं ही याहवेह हूं.’ ”