利未记 13 – CCB & HCV

Chinese Contemporary Bible (Simplified)

利未记 13:1-59

有关麻风病的条例

1耶和华对摩西亚伦说:

2“如果有人皮肤上长肿包、皮疹或白斑,出现麻风病13:2 麻风病”此处为传统译法,希伯来文的意思指包括麻风病在内的各种严重皮肤病。症状,要将他带到祭司亚伦亚伦做祭司的子孙那里。 3祭司要检查患处,如果患处凹陷,患处的毛发变白,就是麻风病,要宣布他是不洁净的。 4如果那人的患处有白斑,没有凹陷,患处的毛发也没有变白,祭司要把他隔离七天。 5第七天,祭司要再次检查患处,如果患处没有恶化,没有扩散,祭司要把他再隔离七天。 6第七天,祭司要再次检查,如果患处颜色变淡,也没有扩散,祭司要宣布他是洁净的。他患的不过是皮疹,他要洗净衣物,便会洁净。 7如果祭司已查看并宣布他是洁净的,但皮疹又扩散,他必须再去见祭司。 8祭司检查时,如果发现皮疹已扩散,就要宣布他是不洁净的,患了麻风病。

9“如果有人患麻风病,必须将他带到祭司面前。 10祭司检查时,如果发现他皮肤上有白色肿包,毛发变白,患处出现疮口, 11他就是患了慢性麻风病,祭司要宣布他是不洁净的。他无须被隔离,因他已经不洁净。 12如果他的麻风病已扩散,头上脚上到处可见, 13祭司就要检查。如果发现麻风病已扩散到他全身,全身的皮肤变白,祭司就要宣布他是洁净的。 14但如果他身上出现溃烂之处,他便不洁净。 15祭司看到他身上的溃烂之处,就要宣布他是不洁净的,因为那溃烂之处表明他患了麻风病。 16如果溃烂之处痊愈并变白,他就要去见祭司。 17祭司检查时,若发现溃烂之处确已变白,就要宣布他是洁净的,他便洁净了。

18“如果有人身上长疮,又痊愈了, 19但原患处出现白色肿包或白里带红的斑,他就要去让祭司检查。 20祭司检查时,若发现患处凹陷,患处的毛发变白,就要宣布他是不洁净的。这是疮变成了麻风病。 21但祭司检查时,若发现患处没有白毛,没有凹陷,肉色变淡,就要把他隔离七天。 22隔离期间,若患处扩散,祭司要宣布他是不洁净的,是患了麻风病。 23如果患处的斑原样未变,没有扩散,便是疮疤,祭司要宣布他是洁净的。

24“如果有人被火烧伤,患处变白或白中带红, 25祭司要检查他的患处。如果患处的毛发变白,伤口凹陷,他的烧伤已变成麻风病,祭司要宣布他是不洁净的,因为他患了麻风病。 26祭司检查时,若发现患处没有白毛,伤口没有凹陷,颜色变淡,就要把他隔离七天。 27第七天,祭司要再次检查,若发现患处扩散,就要宣布他是不洁净的,因为他患了麻风病。 28如果患处没有扩散,颜色变淡,就是烧伤引起的肿包,祭司要宣布他是洁净的,因为那不过是烧伤的疤痕。

29“如果有男女头上或下巴长疮, 30祭司要检查患处,若发现患处凹陷,上面有黄色细毛,就要宣布那人是不洁净的,因为那是疥癣,是麻风病。 31祭司检查时,若发现患处没有凹陷,没有黑毛,就要将那人隔离七天。 32第七天,祭司要检查患处,若发现疥癣没有扩散,上面没有黄毛,患处没有凹陷, 33那人要剃去头发和胡须,但不可剃患处的毛发。祭司要将他再隔离七天。 34第七天,祭司要再次检查,若发现疥癣没有扩散,患处没有凹陷,就要宣布那人是洁净的。那人要洗净衣服,便洁净了。 35那人洁净以后,疥癣若再次扩散, 36祭司就要再次检查。如果疥癣确已扩散,祭司不必再找黄毛,那人是不洁净的。 37如果祭司看到疥癣原样未变,患处长出黑毛,那人就已经痊愈,是洁净的。祭司要宣布那人是洁净的。

38“如果有男女身上长白斑, 39祭司要检查患处,若发现斑呈灰白色,就是皮疹,那人是洁净的。

40“如果有人脱发,成了秃头,他是洁净的。 41如果有人前额脱发,他只是前额光秃,仍是洁净的。 42如果在光秃的头上或前额上长出白里带红的疮,那就是麻风病。 43祭司要检查患处,若发现疮周围肿胀,看起来像麻风病, 44就是得了麻风病,那人是不洁净的。祭司要宣布那人是不洁净的。

45“患麻风病的人必须撕裂衣服,披头散发,遮住脸的下半部,高喊‘不洁净!不洁净!’ 46只要病不痊愈,他就不洁净,要独自住在营外。

霉变衣物的条例

47“如果衣物出现霉斑,不论是羊毛衣、细麻衣、 48羊毛织品、细麻织品,还是皮革或皮革制品, 49只要发现霉斑是绿色或红色的,那就是霉变,要拿给祭司检查。 50祭司检查后,要把那衣物隔离七天。 51第七天,祭司要再次检查,若发现衣物、编织品或皮革上的霉斑蔓延,那衣物就是不洁净的。 52不论那是衣服、羊毛或细麻织品,还是皮革制品,祭司都必须把它烧掉,因为那是霉变。必须烧掉霉变的衣物。 53如果祭司发现衣服、编织品或皮革上的霉斑没有蔓延, 54就要吩咐人洗净衣物,再隔离七天。 55之后,祭司要再次检查洗过的衣物,若发现霉斑原样未变,即使没有蔓延,那衣物也是不洁净的。无论衣物里面还是外面霉变,都必须把它烧掉。 56如果祭司发现洗过后霉斑退色,就要把霉变的部分从衣服、皮革、编织品上撕下来。 57以后衣物、编织品或皮革上若再次出现霉斑,便是旧患复发,要把它烧掉。 58如果洗过衣服、编织品或皮革后,霉斑消失了,要再洗一次就洁净了。

59“羊毛衣、细麻衣、编织品或皮革制品出现霉变时,以上条例可用来鉴定这些衣物是否洁净。”

Hindi Contemporary Version

लेवी 13:1-59

त्वचा के रोगों के बारे में नियम

1याहवेह ने मोशेह और अहरोन को यह आदेश दिया, 2“यदि किसी व्यक्ति की त्वचा पर सूजन, चकत्ते अथवा कोई चमकीला धब्बा हो, और यदि यह उसकी त्वचा पर कोढ़ का संक्रमण बन जाए, तब उस व्यक्ति को पुरोहित अहरोन अथवा उनके किसी पुरोहित पुत्र के सामने लाया जाए. 3पुरोहित उस व्यक्ति की त्वचा पर के धब्बे का निरीक्षण करेगा और यदि उस संक्रमित स्थान के रोएं सफेद हो गए हों, और संक्रमण त्वचा से गहरा ज्ञात होता हो, तो यह निश्चित ही कोढ़ का संक्रमण है. फिर जब पुरोहित उस व्यक्ति का निरीक्षण पूरा कर ले, तब उसे अशुद्ध घोषित कर दे. 4यदि त्वचा पर का धब्बा सफेद तो है, किंतु संक्रमण त्वचा से गहरा मालूम नहीं होता है, और इस स्थान के रोएं भी सफेद नहीं हुए हैं, तो पुरोहित उस संक्रमित व्यक्ति को सात दिन के लिए अलग रखे. 5सातवें दिन पुरोहित उस व्यक्ति का निरीक्षण करे और यदि उसे प्रतीत हो कि संक्रमण तो ज्यों का त्यों है, किंतु वह त्वचा में फैला नहीं है, तो पुरोहित उस व्यक्ति को और सात दिन के लिए अलग रखे. 6सातवें दिन पुरोहित दोबारा उस व्यक्ति का निरीक्षण करे; यदि संक्रमित स्थान का सुधार होने के कारण उसका रंग हल्का हो गया है, और वह त्वचा पर नहीं फैला है; तो पुरोहित उसे शुद्ध घोषित कर दे; यह एक चकत्ते मात्र है. वह व्यक्ति अपने वस्त्र धो ले और शुद्ध हो जाए. 7किंतु यदि पुरोहित के सामने शुद्ध प्रमाणित होने के बाद वह धब्बा त्वचा पर फैलने लगे, तो वह व्यक्ति स्वयं को दोबारा पुरोहित के सामने प्रस्तुत करे. 8पुरोहित इसका निरीक्षण करे और यदि उसे यह जान पड़े कि त्वचा पर धब्बा फैल रहा है, तो पुरोहित उस व्यक्ति को अशुद्ध घोषित कर दे; यह कोढ़ का रोग है.

9“यदि कोढ़ का संक्रमण किसी पुरुष पर है, तो उसे पुरोहित के सामने लाया जाए. 10पुरोहित उसका निरीक्षण करे. यदि उसकी त्वचा में सफेद रंग की सूजन है और उसके उस स्थान के रोएं भी सफेद हो गए हैं तथा सूजन में खुला घाव है, 11तो यह उस व्यक्ति की त्वचा पर पुराना कोढ़ का रोग है, पुरोहित उस व्यक्ति को अशुद्ध घोषित कर दे, किंतु वह उस व्यक्ति को इसलिये दूसरे लोगों से अलग न करे, कि वह अशुद्ध है.

12“यदि कोढ़ त्वचा में और अधिक फूट जाए और कोढ़ उस व्यक्ति के सिर से लेकर पांव तक पूरी देह में फैल जाए, जहां तक पुरोहित इसको देख सके, 13जब पुरोहित इसको बारीकी से देख ले कि कोढ़ उस व्यक्ति के पूरे शरीर में फैल गया है, तो वह उस व्यक्ति को इस रोग से शुद्ध घोषित कर दे; क्योंकि यह पूरी तरह से सफेद रंग का हो गया है, इसलिये वह व्यक्ति शुद्ध होगा. 14किंतु यदि उसे त्वचा पर घाव दिखाई दें, तो वह व्यक्ति अशुद्ध होगा. 15पुरोहित त्वचा के उस घाव को ध्यान से देखे और उस व्यक्ति को अशुद्ध घोषित कर दे; बिना चमड़ी का मांस अशुद्ध है और यह कोढ़ का रोग है. 16किंतु यदि त्वचा का घाव दोबारा सफेद रंग का हो जाए, तो वह व्यक्ति पुरोहित के सामने आए, 17पुरोहित इसको ध्यान से देखे और यदि वह धब्बा सफेद रंग का हो गया है, तो पुरोहित उस संक्रमित व्यक्ति को शुद्ध घोषित कर दे; वह शुद्ध है.

18“जब किसी व्यक्ति की त्वचा पर फोड़ा हो गया है और वह फोड़ा स्वस्थ हो जाए, 19तथा उस फोड़े के स्थान पर सफेद अथवा लालिमा युक्त सफेद रंग की सूजन हो जाए, तब पुरोहित को इसको दिखवाया जाए; 20पुरोहित इसको ध्यान से देखे; यदि उसे यह लगे कि यह त्वचा में फैल रहा है और इसके रोएं भी सफेद हो गए हैं, तब पुरोहित उस व्यक्ति को अशुद्ध घोषित कर दे; यह कोढ़ का संक्रमण है, जिसकी शुरुआत फोड़े से हुई है. 21किंतु यदि पुरोहित इसको ध्यान से देखे और पाए, कि त्वचा के रोएं सफेद नहीं हुए हैं, और यह त्वचा में फैल नहीं रहा है तथा त्वचा का रंग हल्का हो रहा है, तो पुरोहित उस व्यक्ति को सात दिन अलग रखे; 22यदि यह त्वचा में और अधिक फैल रहा है, तो पुरोहित उस व्यक्ति को अशुद्ध घोषित कर दे; यह एक संक्रमण है. 23किंतु यदि सफेद रंग का धब्बा त्वचा पर तो है, परंतु यह त्वचा में फैल नहीं रहा है, तो यह फोड़े का चिन्ह मात्र है, तब पुरोहित उस व्यक्ति को शुद्ध घोषित कर दे.

24“यदि किसी की त्वचा अग्नि से जल गई है, और त्वचा पर घाव से एक सफेद अथवा लालिमा युक्त सफेद धब्बा हो गया है, 25तो पुरोहित इसको ध्यान से देखे और यदि इस धब्बे पर के रोएं सफेद हो गए हैं और संक्रमण त्वचा से गहरा मालूम होता हो, तो यह कोढ़ का रोग है. जिसकी शुरुआत जलने के घाव से हुई है, पुरोहित उस व्यक्ति को अशुद्ध घोषित कर दे; यह कोढ़ का संक्रमण है. 26किंतु यदि पुरोहित इसको जांचता है और यह पाता है कि उस धब्बे पर के रोएं सफेद नहीं हुए हैं और संक्रमण त्वचा से गहरा नहीं है, परंतु इसका रंग हल्का पड़ गया है, तो पुरोहित उस व्यक्ति को सात दिन अलग रखे. 27सातवें दिन पुरोहित उसको दोबारा जांचे. यदि यह त्वचा में फैल रहा है, तो पुरोहित उस व्यक्ति को अशुद्ध घोषित कर दे; यह कोढ़ का संक्रमण है. 28किंतु यदि धब्बा तो त्वचा पर ज्यों का त्यों है, परंतु वह त्वचा में फैला नहीं हैं परंतु उसका रंग हल्का पड़ गया है, तो यह जलने के घाव से उत्पन्‍न सूजन है; पुरोहित उस व्यक्ति को तब शुद्ध घोषित कर दे, क्योंकि यह तो जलने से उत्पन्‍न हुआ चिन्ह मात्र है.

29“यदि किसी पुरुष अथवा महिला के सिर या दाढ़ी पर रोग का संक्रमण हो, 30तो पुरोहित इसका निरीक्षण करे और यदि संक्रमण त्वचा में गहरा मालूम हो और उस स्थान के रोम महीन भूरे रंग के हो गए हों, तो पुरोहित उसे अशुद्ध घोषित कर दे, यह सेहुंआ है, सिर एवं दाढ़ी का कोढ़. 31किंतु यदि पुरोहित इस घाव के संक्रमण की जांच करे और यह पाए कि संक्रमण त्वचा से गहरा नहीं है और न ही उस स्थान में काले रोएं हैं, तो पुरोहित उस व्यक्ति को घाव के संक्रमण के कारण सात दिन अलग रखे. 32सातवें दिन पुरोहित संक्रमण की जांच करे और यदि सेहुंआ त्वचा में नहीं फैला है और उस स्थान पर भूरे रोएं भी नहीं हैं, तथा सेहुंए के कारण संक्रमण त्वचा से गहरा नहीं है, 33तो वह व्यक्ति अपना सिर मुंड़ा ले किंतु वह अपने सेहुंए पर उस्तरा न चलाए. तब पुरोहित उस व्यक्ति को सात दिन और अलग रखे. 34फिर सातवें दिन पुरोहित उस सेहुंए की जांच करे; यदि सेहुंआ त्वचा में और अधिक नहीं फैल रहा है और यह त्वचा में गहरा मालूम नहीं होता, तो पुरोहित उस व्यक्ति को शुद्ध घोषित कर दे; वह व्यक्ति अपने वस्त्रों को धोकर शुद्ध हो जाए. 35किंतु यदि उसके शुद्ध होने के बाद वह सेहुंआ उसकी त्वचा में और अधिक फैलता जाता है, 36तो पुरोहित उसकी जांच करे और यदि यह पाए कि यह त्वचा में फैल गया है, तो वह रोम के भूरे होने की प्रतीक्षा न करे; वह व्यक्ति अशुद्ध है. 37किंतु यदि उसकी जांच के अनुसार सेहुंए में कोई बदलाव नहीं है, किंतु उसमें काले रोएं उग आए हैं, तो वह सेहुंआ स्वस्थ हो गया है, वह व्यक्ति शुद्ध है और पुरोहित उसे शुद्ध घोषित कर दे.

38“जब किसी पुरुष अथवा स्त्री की त्वचा पर सफेद चमकदार धब्बे हों, 39तो पुरोहित इसकी जांच करे और यदि त्वचा पर यह चमकदार धब्बे हल्के सफेद रंग के हों, तो यह दाद हैं, जो त्वचा में फूट निकले हैं; वह व्यक्ति शुद्ध है.

40“यदि किसी पुरुष के बाल झड़ गए हों, तो वह गंजापन है, किंतु वह शुद्ध है. 41किंतु यदि उसके सिर के सामने के और सिर के दोनों ओर के बाल झड़ गए हैं और उसका माथा चंदला हो गया है, तो वह शुद्ध है. 42परंतु यदि उसका सिर अथवा माथा चंदला हो गया है और उस पर लालिमा युक्त सफेद रंग का संक्रमण हो गया है, तो यह कोढ़ है, जो उसके चंदूले माथे और सिर से फूट निकला है. 43तब पुरोहित इसकी जांच करे और यदि सिर अथवा बाल के संक्रमण की सूजन त्वचा पर कोढ़ की लालिमा युक्त सफेद रंग की सूजन के समान है, 44तो वह व्यक्ति कोढ़ का रोगी है, तब अशुद्ध है. निश्चित ही पुरोहित उसे अशुद्ध घोषित कर दे; क्योंकि संक्रमण उसके सिर पर हुआ है.

45“वह व्यक्ति, जो कोढ़ के रोग से संक्रमित हुआ है, उसके वस्त्र फाड़ दिए जाएं, उसका सिर उघाड़ दिया जाए और वह अपने मुख का निचला भाग ढक कर ऊंचे स्वर में कहे, ‘अशुद्ध! अशुद्ध!’ 46अपने संक्रमण की पूरी अवधि में वह अशुद्धि की स्थिति में ही होगा; वह अशुद्ध है तथा अकेले में रहेगा; उसका निवास छावनी के बाहर ही होगा.

वस्त्र में कोढ़ की फफूंदी

47“यदि किसी वस्त्र में कोढ़ की फफूंदी पाई जाती है, चाहे वह वस्त्र ऊनी हो अथवा मलमल का, 48मलमल अथवा ऊन के ताने-बाने का हो, चमड़ा हो या चमड़े से बनी कोई वस्तु हो, 49यदि यह संक्रमण वस्त्र अथवा चमड़े के वस्त्र में अथवा ताने में अथवा बाने में हो, या चमड़े से बनी किसी वस्तु में हरे रंग की अथवा लालिमा हो, तो यह कोढ़ है और इसे पुरोहित को दिखाया जाना आवश्यक है. 50तब पुरोहित उस चिन्ह की जांच करे और इस संक्रमित वस्तु को सात दिन अलग रखे. 51सातवें दिन पुरोहित इस चिन्ह की दोबारा जांच करे और यदि संक्रमण वस्त्र में, ताने में अथवा बाने में अथवा चमड़े में फैल गया हो और चाहे वह चमड़ा किसी भी काम के लिए इस्तेमाल किया जाता हो, तो यह असाध्य कुष्ठ रोग का लक्षण है. यह अशुद्ध है. 52जिस वस्त्र, ताने-बाने, ऊन, मलमल अथवा चमड़े की किसी वस्तु में यह संक्रमण पाया जाए, तो आवश्यक है कि उसको जला दिया जाए, क्योंकि यह असाध्य कोढ़ है; आवश्यक है कि इसको अग्नि में जला दिया जाए.

53“किंतु यदि पुरोहित इसकी जांच करे और यह पाए कि संक्रमण वस्त्र में, ताने-बाने में अथवा चमड़े की वस्तु में नहीं फैला है, 54तो पुरोहित उस संक्रमित वस्त्र को धोने का आदेश दे तथा और सात दिन के लिए उसे अलग कर दे. 55जब जिस वस्त्र में संक्रमण पाया गया है और उसको धो लिया गया है, तो पुरोहित इसकी दोबारा जांच करे और यदि इस वस्तु में मौजूद धब्बे में कोई बदलाव नहीं हुआ है और यह फैला भी नहीं है, तो यह अशुद्ध ही माना जाएगा, और आवश्यक है कि तुम अग्नि में इसको जला दे, चाहे यह फफूंद पीछे के भाग में हो अथवा आगे. 56यदि पुरोहित इसकी जांच करे और उसे यह मालूम हो कि धोने के बाद इसकी चमक कम नहीं हुई है, तब पुरोहित उसे उस वस्त्र या चमड़े में से फाड़कर निकाल दे; 57किंतु यदि यह चिन्ह वस्त्र, ताने अथवा बाने और चमड़े पर दोबारा उभर आए, तो यह उसमें फैल रहा है. आवश्यक है कि उस संक्रमित वस्तु को आग में जला दिया जाए. 58जब तुमने उस संक्रमित वस्त्र, ताने अथवा बाने अथवा चमड़े की वस्तु को धो दिया है, तो इसको दूसरी बार धो दिया जाए और यह शुद्ध माना जाएगा.”

59यह किसी कोढ़ से संक्रमित ऊन या मलमल के वस्त्र, ताने अथवा बाने अथवा चमड़े की किसी वस्तु को शुद्ध अथवा अशुद्ध घोषित करने की विधि है.