创世记 47 – CCB & HCV

Chinese Contemporary Bible (Simplified)

创世记 47:1-31

雅各全家定居埃及

1约瑟来到法老面前,对他说:“我父亲和我的弟兄们已经带着他们的羊群、牛群和所有的一切从迦南来了,现在就在歌珊。” 2约瑟从弟兄中带了五个人去见法老。 3法老问他们:“你们做什么工作?”他们回答说:“仆人们祖祖辈辈都是牧羊的。 4迦南的饥荒很严重,羊群没有草吃,所以我们到这里来寄居,求你准许仆人们住在歌珊。” 5法老对约瑟说:“你父亲和弟兄们都来了, 6整个埃及就在你面前,尽管安排他们住在国中最好的地方。他们可以住在歌珊。如果你知道他们中间有能干的人,可以派他们看管我的牲畜。”

7约瑟又带父亲雅各去见法老,雅各就为法老祝福。 8法老问雅各:“你多大岁数了?” 9雅各回答说:“我在世上寄居一百三十年了,我的日子又苦又短,不像我祖先那样高寿。” 10雅各为法老祝福后,就告退了。 11约瑟遵照法老之命把埃及最好的地方——兰塞境内的土地给他父亲和弟兄们居住,作他们的产业。 12约瑟按各家人口提供粮食给父亲、弟兄及其他家人。

饥荒

13饥荒很严重,到处都缺粮,埃及迦南都饱受饥荒之苦。 14约瑟埃及人和迦南人向他买粮的银子收集起来,存放在法老的库房里。 15埃及人和迦南人的银子都用光了,埃及人就来见约瑟,对他说:“我们的钱财都用光了,求你给我们粮食,免得我们饿死在你面前。” 16约瑟说:“你们的钱财如果用尽了,可以用你们的牲畜来交换粮食。” 17于是,他们把牲畜赶到约瑟那里,用他们的牛、羊、驴和马跟约瑟换粮食。那一年,他们就依靠换来的粮食生活。

18到了第二年,他们又来见约瑟,对他说:“不瞒我主,我们的钱都用光了,牲畜也给你了,除了我们自己和田地以外,我们一无所有。 19求你不要让我们人死地荒。我们愿意用自己和我们的田地来换粮食,我们和我们的田地都归法老。求你给我们种子,我们好活下去,不致饿死,土地也不致荒废。”

20埃及人为饥荒所迫,纷纷卖掉自己的田地。约瑟替法老收购了埃及全国的田地,最后,所有的田地都归法老了。 21约瑟使埃及全境的人都成为法老的奴仆。 22约瑟唯独没有买祭司的田地,因为祭司吃法老的俸禄,有足够的供给,不用卖地。 23约瑟对百姓说:“我为法老买了你们和你们的土地,这里有种子,你们可以拿去耕种。 24但是你们要把收成的五分之一给法老,其余的,你们可以留下来作种子和全家人的口粮。” 25他们说:“你救了我们的命,求你恩待我们,让我们做法老的奴仆吧。” 26于是,约瑟立下一条法令,到今天还有效,就是埃及出产的五分之一归给法老。只有祭司的田地不归法老。

27以色列人住在埃及歌珊,在那里获得了产业,人口兴旺。 28雅各埃及住了十七年,他一共活了一百四十七岁。

29他快要离世的时候,把儿子约瑟叫来,说:“你如果恩待我,请你把手放在我大腿底下起誓,你会以慈爱和信实待我,不把我葬在埃及30我与祖先同眠后,你要把我带出埃及安葬在我祖先的身边。”约瑟说:“我必照你说的做。” 31雅各约瑟起誓,约瑟照做了。于是,以色列在床头47:31 在床头”或译“拄着拐杖”。敬拜上帝。

Hindi Contemporary Version

उत्पत्ति 47:1-31

1योसेफ़ ने जाकर फ़रोह को बताया, “मेरे पिता तथा मेरे भाई अपने सब भेड़-बकरी, पशु तथा अपनी पूरी संपत्ति लेकर कनान देश से आ चुके हैं तथा वे गोशेन देश में हैं.” 2योसेफ़ ने अपने पांच भाइयों को फ़रोह के सामने प्रस्तुत किया.

3फ़रोह ने उनके भाइयों से पूछा, “आप लोग क्या काम करते हैं?”

उन्होंने फ़रोह से कहा, “हम हमारे पूर्वजों की ही तरह पशु पालते हैं. 4अब इस देश में कुछ समय के लिये रहने आए हैं, क्योंकि कनान में भयंकर अकाल होने के कारण आपके दासों के पशुओं के लिए चारा नहीं है. तब कृपा कर हमें गोशेन में रहने की अनुमति दे दीजिए.”

5फ़रोह ने योसेफ़ से कहा, “तुम्हारे पिता एवं तुम्हारे भाई तुम्हारे पास आए हैं, 6पूरा मिस्र देश तुम्हारे लिए खुला है; अपने पिता एवं अपने भाइयों को गोशेन के सबसे अच्छे भाग में रहने की सुविधा दे दो. और भाइयों में से कोई समझदार हो तो उसे मेरे पशुओं की देखभाल की पूरी जवाबदारी दे दो.”

7फिर योसेफ़ पिता याकोब को भी फ़रोह से मिलाने लाए. याकोब ने फ़रोह को आशीष दी. 8फ़रोह ने याकोब से पूछा, “आपकी उम्र क्या है?”

9याकोब ने फ़रोह को बताया “मेरी तीर्थ यात्रा के वर्ष एक सौ तीस रहे हैं. मेरी आयु बहुत छोटी और कष्टभरी रही है और वह मेरे पूर्वजों सी लंबी नहीं रही है!” 10याकोब फ़रोह को आशीष देकर वहां से चले गये.

11योसेफ़ ने अपने पिता एवं भाइयों को फ़रोह की आज्ञा अनुसार मिस्र में सबसे अच्छी जगह रामेसेस में ज़मीन दी. 12योसेफ़ ने अपने पिता, अपने भाइयों तथा पिता के पूरे परिवार को उनके बच्चों की गिनती के अनुसार भोजन उपलब्ध कराया.

अकाल में योसेफ़ की नीति

13पूरे देश में अकाल के कारण भोजन की कमी थी. मिस्र देश तथा कनान देश अकाल के कारण भूखा पड़ा था. 14मिस्र देश तथा कनान देश का सारा धन योसेफ़ ने फ़रोह के राजमहल में अनाज के बदले इकट्ठा कर लिया था. 15जब लोगों के पास अनाज खरीदने के लिए रुपया नहीं था तब वह योसेफ़ के पास आकर बिनती करने लगे, “हमें खाने को भोजन दीजिए. हम आपकी आंखों के सामने क्यों मरें? हमारा रुपया सब खत्म हो गया है.”

16योसेफ़ ने कहा, “यदि तुमारा रुपया खत्म हो गया हैं तो तुम अपने पशु हमें देते जाओ और हम तुम्हें उसके बदले अनाज देंगे.” 17इसलिये वे अपने पशु योसेफ़ को देने लगे; और योसेफ़ उन्हें उनके घोड़े, पशुओं, भेड़-बकरी तथा गधों के बदले में अनाज देने लगे. योसेफ़ ने उस वर्ष उनके समस्त पशुओं के बदले में उनकी भोजन की व्यवस्था की.

18जब वह वर्ष खत्म हुआ तब अगले वर्ष वह योसेफ़ के पास आए और उनसे कहा, “स्वामी यह सच्चाई आपसे छुपी नहीं रह सकती कि हमारा सारा रुपया खर्च हो गया हैं और पशु भी आपके हो गये है; अब हमारा शरीर और हमारी ज़मीन ही बच गई है. 19क्या हम और हमारी ज़मीन आपकी आंखों के सामने नाश हो जायेंगी? अब भोजन के बदले आप हमारी ज़मीन को ही खरीद लीजिए, और हम अपनी ज़मीन के साथ फ़रोह के दास बन जाएंगे. हमें सिर्फ बीज दे दीजिये कि हम नहीं मरें परंतु जीवित रहें कि हमारी भूमि निर्जन न हो.”

20इस प्रकार योसेफ़ ने मिस्र देश की पूरी ज़मीन फ़रोह के लिये खरीद ली. सभी मिस्रवासियों ने अपनी भूमि बेच दी क्योंकि अकाल भयंकर था और ज़मीन फ़रोह की हो गई. 21योसेफ़ ने मिस्र के एक छोर से दूसरे छोर तक लोगों को, दास बना दिया. 22सिर्फ पुरोहितों की भूमि को नहीं खरीदा, क्योंकि उनको फ़रोह की ओर से निर्धारित भोजन मिलता था और वह उनके जीने के लिये पर्याप्‍त था, इसलिये उन्होंने अपनी ज़मीन नहीं बेची.

23योसेफ़ ने लोगों से कहा, “मैंने फ़रोह के लिए आपको तथा आपकी भूमि को आज खरीद लिया है, अब आपके लिये यह बीज दिया है कि आप अपनी ज़मीन पर इस बीज को बोना और खेती करना. 24और जब उपज आयेगी उसमें से फ़रोह को पांचवां भाग देना होगा और शेष चार भाग आपके होंगे; ज़मीन में बोने के बीज के लिये और आप, आपके परिवार और आपके बच्चों के भोजन के लिये होंगे.”

25तब लोगों ने कहा, “आपने हमारा जीवन बचा लिया; यदि हमारे स्वामी की दया हम पर बनी रहे और हम फ़रोह के दास बने रहेंगे.”

26योसेफ़ ने जो नियम बनाया था कि उपज का पांचवां भाग फ़रोह को देना ज़रूरी है वह आज भी स्थापित है. सिर्फ पुरोहितों की भूमि फ़रोह की नहीं हुई.

27इस्राएल मिस्र देश के गोशेन नामक जगह पर रह रहे थे, वहां वे फलते फूलते धन-संपत्ति अर्जित करते गये और संख्या में कई गुणा बढ़ते गये.

28मिस्र में याकोब को सत्रह साल हो चुके थे, और वे एक सौ सैंतालीस वर्ष तक रहे. 29जब इस्राएल मरने पर थे, उन्होंने अपने पुत्र योसेफ़ को पास बुलाया और कहा, “यदि तुम मुझसे प्रेम करते हो तो मेरी जांघ के नीचे अपना हाथ रखकर शपथ लो, कि तुम मुझसे करुणा और विश्वास का बर्ताव करोगे और मुझे मिस्र में नहीं दफ़नाओगे, 30जब मैं चिर-निद्रा में अपने पूर्वजों से जा मिलूं, तब मुझे मिस्र देश से ले जाना और पूर्वजों के साथ उन्हीं के पास मुझे दफ़नाना.”

योसेफ़ ने कहा, “मैं ऐसा ही करूंगा जैसा आपने कहा है.”

31याकोब ने कहा, “मुझसे वायदा करो!” योसेफ़ ने उनसे वायदा किया और इस्राएल खाट के सिरहाने की ओर झुक गए.