创世记 28 – CCB & HCV

Chinese Contemporary Bible (Simplified)

创世记 28:1-22

1以撒雅各叫来,给他祝福,又嘱咐他说:“你不要娶迦南的女子为妻。 2马上去巴旦·亚兰,到你外祖父彼土利家,在你舅父拉班的女儿中选一个做妻子。 3愿全能的上帝赐福给你,使你的子孙众多,成为许多民族。 4愿上帝把赐给亚伯拉罕的福气赐给你和你的后代,让你承受你寄居之地为产业,就是上帝赐给亚伯拉罕的地方。” 5以撒雅各前往巴旦·亚兰,去亚兰人彼土利的儿子拉班那里。拉班雅各以扫的舅父。

6以扫看见父亲给雅各祝福,让他到巴旦·亚兰娶妻,叮嘱他不要娶迦南的女子, 7又看见雅各听从父母到巴旦·亚兰去了, 8就知道父亲以撒不喜欢迦南的女子。 9他便到亚伯拉罕的儿子以实玛利那里,娶了以实玛利的女儿、尼拜约的妹妹玛哈拉为妻。他娶玛哈拉以前已经有两个妻子了。

雅各的梦

10雅各离开别示巴,前往哈兰11到了一个地方,太阳已经下山,他便在那里过夜。他枕着一块石头睡觉, 12梦中看见有个梯子立在地上,直通到天上,梯子上有上帝的天使上上下下。 13耶和华站在梯子上28:13 在梯子上”或译“在他旁边”。雅各说:“我是耶和华,是你祖父亚伯拉罕的上帝,也是以撒的上帝。我要把你现在躺卧的地方赐给你和你的后代。 14你的后代必多如地上的尘沙,遍布四方,地上万族必因你和你的后代而蒙福。 15我与你同在,无论你去哪里,我都会保护你,领你返回这片土地。我必实现对你的应许,决不离弃你。”

16雅各一觉醒来,说:“耶和华居然在这里,我却不知道。” 17他就害怕起来,说:“这地方何等可畏!这里是上帝的家,是通天的大门。”

18雅各清早起来,把枕的那块石头立成柱子作记号,在上面浇上油。 19他称那地方为伯特利28:19 伯特利”意思是“上帝的家”。,那地方以前叫路斯20雅各许愿说:“如果上帝与我同在,在路上保护我,供给我衣食, 21带领我平安地回到父亲的家,我就一定敬奉耶和华为我的上帝。 22我立为柱子的这块石头必成为上帝的殿。凡你赐给我的,我必把十分之一献给你。”

Hindi Contemporary Version

उत्पत्ति 28:1-22

1इसलिये यित्सहाक ने याकोब को आशीष दी और कहा: “कनानी कन्याओं से शादी मत करना. 2पर पद्दन-अराम में अपने नाना बेथुएल के यहां चले जाओ. और वहां अपने मामा लाबान की पुत्रियों में से किसी से विवाह कर लेना. 3सर्वशक्तिमान परमेश्वर की दया तुम पर बनी रहे तथा सुख और शांति से आगे बढ़ो. 4परमेश्वर तुम्हें वे आशीषें दें, जिन्हें उन्होंने अब्राहाम को दी थी, तुम्हें और तुम्हारे वंश को, उस देश का अधिकारी बनाये.” 5इन सब आशीषित वचन के साथ यित्सहाक ने याकोब को विदा किया. याकोब अपनी और एसाव की माता रेबेकाह के भाई अरामवासी लाबान के यहां चले गए, जो पद्दन-अराम के बेथुएल के पुत्र थे.

6एसाव को मालूम हो गया था कि यित्सहाक ने याकोब को आशीष देकर पद्दन-अराम में भेजा है ताकि वह अपने लिए पत्नी चुने, और आदेश भी दिया है कि वह कनानी स्त्री से विवाह न करे, 7और याकोब अपने पिता एवं माता की बात को मानते हुए पद्दन-अराम में चले गये. 8तब एसाव को यह समझ में आ गया, कि उसके पिता को कनान देश की कन्याएं पसंद नहीं हैं. 9इसलिये एसाव ने अपनी पत्नियों के अलावा अब्राहाम के पुत्र इशमाएल की पुत्री माहालाथ से, जो नेबाइयोथ की बहन थी, विवाह कर लिया.

याकोब का स्वप्न

10याकोब बेअरशेबा से हारान की ओर गए. 11जब वह एक जगह पहुंचा तब रात को उन्हें वहां रुकना पड़ा, क्योंकि तब तक सूरज ढल चुका था. उन्होंने एक पत्थर अपने सिर के नीचे रखा और लेट गए. 12तब उन्होंने एक स्वप्न देखा: एक सीढ़ी पृथ्वी पर खड़ी है, उसका दूसरा सिरा स्वर्ग तक पहुंचा हुआ था. उन्होंने देखा कि परमेश्वर के स्वर्गदूत इस पर चढ़ रहे और उतर रहे हैं. 13उन्होंने देखा कि ऊपर याहवेह खड़े हैं, और कह रहे हैं, “मैं ही याहवेह हूं, तुम्हारे पिता अब्राहाम तथा यित्सहाक का परमेश्वर. जिस भूमि पर तुम इस समय लेटे हुए हो, मैं वह भूमि तुम्हें तथा तुम्हारे वंश को दूंगा. 14तुम्हारा वंश भूमि की धूल के समान आशीषित होकर पृथ्वी के चारों दिशाओं में फैल जायेगा. पृथ्वी पर सभी लोग तुम्हारे और तुम्हारे वंश के द्वारा आशीषित होंगे. 15मैं तुम्हारे साथ रहूंगा और जहां कहीं तुम जाओगे, मैं तुम्हारी रक्षा करूंगा. और तुम्हें इसी देश में लौटा ले आऊंगा. जब तक मैं अपनी बात पूरी न कर लूं तब तक तुम्हें न छोडूंगा.”

16अचानक याकोब की नींद खुल गई और कहा, “निश्चय इस स्थान पर याहवेह की उपस्थिति है और मुझे यह मालूम ही न था.” 17याकोब भयभीत होकर कहने लगे, “अनोखा है यह स्थान! यह परमेश्वर के भवन के अलावा कुछ और नहीं हो सकता; ज़रूर यह स्वर्ग का द्वार ही होगा.”

18याकोब ने उस पत्थर को, जिसे उसने अपने सिर के नीचे रखा था, एक स्तंभ के जैसे खड़ा कर उस पर तेल डाला, 19याकोब ने उस स्थान का नाम बेथेल28:19 बेथेल अर्थात् परमेश्वर का भवन रखा; जबकि उस स्थान का नाम लूज़ था.

20फिर याकोब ने प्रण लिया, “यदि परमेश्वर की उपस्थिति मेरे साथ साथ बनी रहेगी, और मुझे सुरक्षित रखेंगे, मुझे भोजन एवं वस्त्रों की कमी नहीं होगी 21और मुझे मेरे पिता के घर तक सुरक्षित पहुंचा देंगे, तो याहवेह ही मेरे परमेश्वर होंगे. 22यह पत्थर, जिसे मैंने स्तंभ बनाकर खड़ा किया है, परमेश्वर का भवन होगा तथा आप मुझे जो कुछ देंगे, निश्चयतः मैं उसका दशमांश आपको ही समर्पित करूंगा.”