列王纪上 3 – CCB & HCV

Chinese Contemporary Bible (Simplified)

列王纪上 3:1-28

所罗门求智慧

1所罗门娶了埃及法老的女儿,与法老结盟。他在自己的王宫、耶和华的殿和耶路撒冷的城墙完工之前,让她一直住在大卫城。 2那时候,用来尊崇耶和华之名的殿还没有建成,以色列人仍然在丘坛献祭。 3所罗门爱耶和华,遵行他父亲大卫的律例,只是仍然在丘坛献祭烧香。

4有一次,所罗门王上基遍献了一千头祭牲作燔祭,因为那里有最重要的丘坛。 5基遍,耶和华晚上在梦中向所罗门显现,对他说:“你想要什么,只管向我求。”

6所罗门说:“你的仆人——我父大卫本着诚实、公义、正直的心在你面前行事,你就向他大施恩慈,并且一如既往地以厚恩待他,让他儿子今天继承他的王位。 7我的上帝耶和华啊,你让仆人继承我父亲大卫的王位,但仆人还年幼无知,不懂得如何治理国家。 8仆人住在你所拣选的子民中,这些子民多得不可胜数。 9求你赐我智慧治理你的子民,并能辨别是非;不然,我又怎能治理你这众多的子民呢?” 10主喜悦所罗门的祈求, 11对他说:“既然你不为自己求寿、求财富,也不求灭绝仇敌,只求有智慧治理我的子民, 12我必应允你,赐给你空前绝后的智慧和悟性。 13你没有求富贵和尊荣,但我会一并赐给你,使你有生之年在列王中无人能比。 14你若像你父亲大卫一样遵行我的道,遵守我的律例和诫命,我必使你长寿。”

15所罗门醒来,发现是在做梦。他回到耶路撒冷,站在耶和华的约柜前献上燔祭和平安祭,又宴请群臣。

智断死婴案

16一天,两个妓女到王面前告状。 17其中一个说:“我主啊,我跟这女人同住,我生了一个男孩,当时她也在场。 18我生产后三天,她也生了一个男孩。我们住在一起,除了我们二人,屋里没有别人。 19一天晚上,她不小心压死了自己的孩子。 20她半夜起来,趁我熟睡的时候抱走了我身边的孩子,放在她怀中,把她的死孩子放在我怀中。 21天快亮的时候,我起来给孩子喂奶,发现孩子死了。天亮后,我仔细察看孩子,发现孩子不是我生的。” 22另一个女人说:“不对!活孩子是我的,死孩子是你的。”第一个女人说:“不对!死孩子是你的,活孩子是我的。”两个女人在王面前争吵起来。 23王见她们二人都说活孩子是自己的,死孩子是对方的, 24就命人拿刀来。侍从把刀拿来后, 25王下令将那活孩子劈成两半,让她们各得一半。 26活孩子的母亲心疼自己的孩子,就说:“我主啊,把孩子给她吧,千万不要杀他!”但另一个女人却说:“孩子不归我,也不归你,把他劈开吧!”

27王说:“不可杀这孩子,把他交给刚才为孩子求情的女人吧!她是孩子的母亲。” 28以色列人听见王这样断案,都敬畏他,因为他们知道他有上帝所赐的智慧,可以秉公执法。

Hindi Contemporary Version

1 राजा 3:1-28

बुद्धि के लिए शलोमोन की प्रार्थना

1शलोमोन ने मिस्र के राजा फ़रोह के साथ वैवाहिक गठबंधन बनाया. उन्होंने फ़रोह की पुत्री से विवाह कर लिया, और उसे दावीद के नगर में ले आए. उन्होंने उसे येरूशलेम में तब तक रखा, जब तक अपने भवन, याहवेह के भवन और येरूशलेम की शहरपनाह बनाने का काम पूरा न हो गया. 2लोग पूजा की जगहों पर अब भी बलि चढ़ाते थे, क्योंकि अब तक याहवेह के लिए कोई भी भवन बनाया नहीं गया था. 3शलोमोन याहवेह से प्रेम करते थे. हां, अपने पिता दावीद की विधियों का पालन भी करते थे. इसके अलावा वह पूजा की जगहों पर बलि चढ़ाते और धूप भी जलाते थे.

4एक बार राजा बलि चढ़ाने के लिए गिबयोन नगर गए. यह विशेष पूजा की जगह थी. शलोमोन हमेशा उस वेदी पर होमबलि के लिए एक हज़ार पशु चढ़ाते थे. 5गिबयोन नगर में ही याहवेह शलोमोन पर सपने में दिखे. परमेश्वर ने उनसे कहा, “मांगो, जो तुम्हारी मनोकामना है!”

6शलोमोन ने याहवेह को उत्तर दिया, “आपने अपने सेवक मेरे पिता, दावीद पर बहुत प्रेम दिखाया है, क्योंकि वह आपके सामने सच्चाई, ईमानदारी और मन की सीधाई से चलते रहे. आपने उन पर अपना अपार प्रेम इस हद्द तक बनाए रखा है कि, आज आपने उन्हें उनके सिंहासन पर बैठने के लिए एक पुत्र भी दिया है.

7“याहवेह, मेरे परमेश्वर, अब आपने अपने सेवक को मेरे पिता दावीद की जगह पर राजा बना दिया है. यह होने पर भी, सच यही है कि मैं सिर्फ एक कम उम्र का बालक ही हूं—मुझे इसकी समझ ही नहीं कि किस परिस्थिति में कैसा फैसला लेना सही होता है. 8आपका सेवक आपके द्वारा चुनी गई प्रजा के बीच है, जो इतनी विशाल है जिसकी गिनती भी नहीं की जा सकती है, जिनका हिसाब रखना मुश्किल है. 9इसलिये प्रजा का न्याय करने के लिए अपने सेवक को ऐसा मन दे दीजिए कि मैं भले-बुरे को परख सकूं, नहीं तो कौन है जो आपकी इतनी विशाल प्रजा का न्याय करके उसे चला सके?”

10शलोमोन की इस प्रार्थना ने प्रभु को प्रसन्‍न कर दिया. 11परमेश्वर ने उन्हें उत्तर दिया, “इसलिये कि तुमने न तो अपनी लंबी उम्र के लिए, न धन-दौलत के लिए और न ही अपने शत्रुओं के प्राणों की विनती की है, बल्कि तुमने प्रार्थना की है, कि तुम्हें न्याय के लिए सही विवेक मिल सके; 12देखो, मैं तुम्हारी इच्छा पूरी कर रहा हूं. देखो, मैं तुम्हें बुद्धि और विवेक से भरा मन देता हूं, ऐसा, कि न तो तुमसे पहले कोई ऐसा हुआ है, और न तुम्हारे बाद ऐसा कोई होगा. 13मैं तुम्हें वह भी दूंगा, जिसकी तुमने प्रार्थना भी नहीं की; धन-दौलत और महिमा. तुम्हारे पूरे जीवन भर में कोई भी राजा तुम्हारे सामने खड़ा न हो सकेगा. 14यदि तुम मेरे मार्ग पर चलोगे, मेरी विधियों और आज्ञाओं का पालन करते रहो, जैसा तुम्हारे पिता दावीद करते रहे, मैं तुम्हें लंबी उम्र दूंगा.” 15शलोमोन की नींद टूट गई. उन्हें लगा कि यह सिर्फ सपना ही था.

वह येरूशलेम लौट गए, और वहां प्रभु की वाचा के संदूक के सामने खड़े हो गए, और उन्होंने होमबलि और मेल बलि चढ़ाई, और अपने सभी सेवकों के लिए एक भोज दिया.

शलोमोन की बुद्धि

16एक दिन शलोमोन की सभा में दो वेश्याएं आ खड़ी हुईं. 17उनमें से एक ने विनती की, “मेरे प्रभु, हम दोनों एक ही घर में रहती हैं. जब यह घर पर ही थी, मैंने एक बच्‍चे को जन्म दिया. 18बच्‍चे को जन्म देने के तीसरे दिन इस स्त्री ने भी एक बच्‍चे को जन्म दिया. हम दोनों साथ साथ ही रह रही थी. घर में हम दोनों के अलावा कोई भी दूसरा व्यक्ति न था, घर में सिर्फ हम दोनों ही थी.

19“रात में इस स्त्री के पुत्र की मृत्यु हो गई, क्योंकि बच्चा इसके नीचे दब गया था. 20रात के बीच में जब मैं सो रही थी, इसने उठकर मेरे पास से मेरे पुत्र को लेकर अपने पास सुला लिया, और अपने मरे हुए पुत्र को मेरे पास लिटा दिया. 21जब सुबह उठकर मैंने अपने पुत्र को दूध पिलाना चाहा, तो मैंने पाया कि वह मरा हुआ था! मगर जब मैंने सुबह उसे ध्यान से देखा तो, यह मुझे साफ़ मालूम हुआ कि वह मेरा पुत्र था ही नहीं, जिसे मैंने जन्म दिया था.”

22इस पर दूसरी स्त्री बोल उठी, “नहीं! यह ज़िंदा बच्चा ही मेरा पुत्र है. तुम्हारा पुत्र यह मरा हुआ बच्चा है.”

मगर पहली स्त्री ने कहा, “नहीं! मरा हुआ बच्चा तुम्हारा ही पुत्र है, ज़िंदा बच्चा मेरा पुत्र है.” यह सब राजा के सामने हो रहा था.

23तब राजा ने कहा, “एक कहती है, ‘जो ज़िंदा है, वह मेरा पुत्र है, जो मरा है वह तुम्हारा पुत्र है’ और दूसरी स्त्री दावा कर रही है, ‘नहीं! मरा हुआ पुत्र तुम्हारा है, ज़िंदा मेरा.’ ”

24राजा ने आदेश दिया, “मेरे लिए एक तलवार लेकर आओ.” सो राजा के लिए एक तलवार लाई गई. 25राजा ने उन्हें आदेश दिया, “जीवित बच्‍चे को दो भागों में काट दिया जाए और दोनों स्त्रियों को आधा-आधा भाग दे दिया जाए.”

26तब वह स्त्री, जिसका बच्चा वास्तव में ज़िंदा था, राजा से विनती करने लगी, क्योंकि वह अपने पुत्र के विषय में बहुत ही दुःखी हो गई थी, “मेरे प्रभु, दे दीजिए यह ज़िंदा बच्चा इसे, इसकी हत्या बिलकुल न कीजिए.”

मगर दूसरी स्त्री ने कहा, “न बच्चा तुम्हारा होगा न मेरा; कर दो इसे दो भागों में आधा!”

27यह सुनते ही राजा ने आदेश दिया, “इस बच्‍चे की हत्या बिलकुल न की जाए. ज़िंदा बच्चा इस पहली स्त्री को दे दो. इस बच्‍चे की माता यही है.”

28तब सारे इस्राएल ने इस निर्णय के बारे में सुना कि राजा ने कैसा निर्णय दिया है, सबके मन में राजा का भय छा गया. क्योंकि वे यह साफ़ देख रहे थे कि न्याय करने के लिए राजा में परमेश्वर की बुद्धि थी.