以西结书 20 – CCB & HCV

Chinese Contemporary Bible (Simplified)

以西结书 20:1-49

以色列人的悖逆

1第七年五月十日,有几个以色列的长老来到我这里,坐在我面前。 2耶和华对我说: 3“人子啊,你要告诉他们,主耶和华这样说,‘你们是来求问我吗?我凭我的永恒起誓,我决不让你们求问。’ 4人子啊,你要审判他们?你要审判他们?要使他们知道他们祖先所做的可憎之事。 5你要告诉他们,主耶和华这样说,‘我拣选以色列那日,曾向雅各家的后裔起誓,又在埃及向他们显现,告诉他们我是他们的上帝耶和华。 6那日我向他们起誓,要带领他们离开埃及,到我为他们预备的奶蜜之乡,世上最佳美的地方。 7我告诉他们要除掉他们祭拜的可憎之物,不可让埃及的偶像玷污自己,因为我是他们的上帝耶和华。

8“‘然而,他们却背叛我,不听我的话,没有除去他们祭拜的可憎之物和埃及的偶像。我本想在埃及向他们发烈怒,倾倒我的怒火, 9但我没有这样做,以免我的名在他们寄居的列邦面前被亵渎。因为列邦亲眼看见我向以色列人显现,把他们带出埃及10于是,我带他们离开埃及,进入旷野, 11向他们颁布我的律例和典章,若有人遵守,就必活着。 12我又让他们遵守我的安息日,作为我与他们之间的记号,好叫他们知道是我耶和华使他们成为圣洁之民。

13“‘可是,以色列人却在旷野背叛我,不遵行我的律例和典章——遵行的人必活着,大肆亵渎我的安息日。我本想在旷野向他们发烈怒,灭绝他们。 14但我没有这样做,以免我的名在周围列邦面前被亵渎,因为列邦亲眼看见我向以色列人显现,把他们带出埃及15我在旷野曾向他们发誓,不带他们进入我赐给他们的那奶蜜之乡,那世上最佳美的地方, 16因为他们不遵守我的典章,不顺从我的律例,亵渎我的安息日,心恋偶像。 17但我怜悯他们,没有毁灭他们,没有在旷野把他们全部灭绝。

18“‘我在旷野曾对他们的子孙说,不要效法你们祖先的律例,不要遵守他们的规条,不要拜他们的偶像,以致玷污自己。 19我是你们的上帝耶和华,你们要恪守我的律例,谨遵我的典章, 20尊我定的安息日为圣日,作为我与你们之间的记号,使你们知道我是你们的上帝耶和华。

21“‘可是,他们的子孙却背叛我,不恪守我的律例,不谨遵我的典章——遵守的人必活着。他们亵渎我的安息日。我本想在旷野向他们发烈怒,倾倒我的怒气, 22但我没有这样做,以免我的名在周围列邦面前被亵渎,因为列邦亲眼看见我向以色列人显现,把他们带出埃及23我在旷野起誓要把他们驱散到列国,分散到列邦, 24因为他们不遵行我的典章,弃绝我的律例,亵渎我的安息日,眼睛恋慕他们祖先的偶像。 25所以,我任由他们效法无用的律例,遵守无法使人活着的规条, 26任由他们把自己的长子烧作祭物献给偶像,以致玷污自己——好使他们充满恐惧,这样他们便知道我是耶和华。’

27“人子啊,你要告诉以色列人,主耶和华这样说,‘你们的祖先背信弃义,亵渎了我。 28当我引领他们进入我曾起誓要赐给他们的土地时,他们在所见的每一处高山或密林献祭,焚烧馨香的祭牲,向偶像奠酒,惹我发怒。 29我问他们,你们所去的高处是什么地方?’从此,那高处一直叫巴麻

30“所以,你要告诉以色列人,主耶和华这样说,‘你们仍像你们祖先一样与可憎的偶像苟合,玷污自己吗? 31你们至今仍把自己的儿子烧作祭物献给偶像,玷污自己吗?以色列人啊,我会让你们求问吗?主耶和华说,我凭我的永恒起誓,我决不让你们求问。

32“‘你们说要像外族人一样去供奉木头石头,你们的想法绝不能实现!’

33“主耶和华说,‘我凭我的永恒起誓,我要发烈怒,伸出大能的臂膀治理你们。 34我要发烈怒,伸出大能的臂膀把你们从列国中领出来,从你们散居的列邦聚集你们, 35领你们进入外族人的旷野,面对面地审判你们, 36就像我从前在埃及的旷野审判你们的祖先一样。这是主耶和华说的。 37我要对你们严加管教20:37 对你们严加管教”希伯来文是“让你们在杖下经过”。,使你们遵守我的约。 38我要铲除你们中间叛逆和犯罪的人。虽然我要领他们离开寄居之地,他们却不能回以色列。这样,你们就知道我是耶和华。’

39“主耶和华说,‘你们以色列人若不听我的话,就去供奉你们的偶像吧!但将来你们必不再向偶像献祭物亵渎我的圣名!’

40“主耶和华说,‘在我的圣山,就是以色列的高山上,所有的以色列人都要事奉我,我要在那里悦纳你们,要求你们献上供物、最好的礼物和一切圣物。 41当我把你们从列国领出来,从你们散居的列邦聚集起来时,你们必如馨香之祭一样蒙我悦纳,我必当着列国的面在你们中间彰显我的圣洁。 42我要把你们带回我起誓应许给你们祖先的以色列,这样你们就知道我是耶和华。 43你们在那里会想起以往玷污自己的行径,并因自己的一切恶行而憎恶自己。’ 44主耶和华说,‘以色列人啊,我为了自己的名,没有照你们的邪恶行径惩罚你们,这样你们便知道我是耶和华。’”

45耶和华对我说: 46“人子啊,你要面向南方,说预言斥责南地的树林。 47你要对南地的树林说,‘你要听耶和华的话。主耶和华说,我要在你那里燃起火来,烧毁你所有的青树和枯树。这不熄的烈火要从南到北烧焦一切。 48这样,世人便知道这烈火是我耶和华点燃的,它绝不会熄灭。’” 49于是我说:“唉,主耶和华啊,他们在议论我说,‘这人岂不是在说比喻吗?’”

Hindi Contemporary Version

यहेजकेल 20:1-49

विद्रोही इस्राएल का प्रायश्चित करना

1सातवें वर्ष के पांचवें महीने के दसवें दिन, इस्राएल के कुछ अगुए याहवेह की इच्छा जानने के लिये आये और वे मेरे सामने बैठ गये.

2तब याहवेह का वचन मेरे पास आया: 3“हे मनुष्य के पुत्र, इस्राएल के अगुओं से बात करो और उनसे कहो, ‘परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: क्या तुम मेरी इच्छा जानने आए हो? मैं अपने जीवन की शपथ खाकर कहता हूं, मैं तुम्हें अपनी इच्छा नहीं बताऊंगा, परम प्रधान याहवेह की घोषणा है.’

4“क्या तुम उनका न्याय करोगे? हे मनुष्य के पुत्र, क्या तुम उनका न्याय करोगे? तब उनके पूर्वजों के द्वारा किए घृणित कार्य उन्हें बताओ 5और उनसे कहो: ‘परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: जिस दिन मैंने इस्राएल को चुन लिया, मैंने अपना हाथ उठाकर याकोब के वंशजों से शपथ खाई और अपने आपको मिस्र देश में उन पर प्रकट किया. हाथ उठाकर मैंने उनसे कहा, “मैं याहवेह तुम्हारा परमेश्वर हूं.” 6उस दिन मैंने उनसे शपथ खाई कि मैं उन्हें मिस्र देश से निकालकर एक ऐसे देश में ले आऊंगा, जिसे मैंने उनके लिये खोजा था, एक ऐसा देश जिसमें दूध और मधु की धाराएं बहती हैं, और जो सब देशों से सुंदर है. 7और मैंने उनसे कहा, “तुममें से हर एक उन निकम्मे मूर्तियों को निकाल फेंको, जिन पर तुम्हारी दृष्टि लगी रहती है, और मिस्र की मूर्तियों से अपने आपको अशुद्ध मत करो. मैं याहवेह तुम्हारा परमेश्वर हूं.”

8“ ‘परंतु उन्होंने मेरे विरुद्ध विद्रोह किया और मेरी बातें नहीं सुनी; उन्होंने उन निकम्मी मूर्तियों को नहीं फेंका, जिन पर उनकी दृष्टि लगी हुई थी, और न ही उन्होंने मिस्र की मूर्तियों का परित्याग किया. इसलिये मैंने कहा कि मैं उन पर अपना कोप उंडेलूंगा और मिस्र देश में उनके विरुद्ध अपना क्रोध दिखाऊंगा. 9पर अपने नाम के निमित्त मैं उन्हें मिस्र देश से निकाल लाया. मैंने ऐसा इसलिये किया ताकि मेरा नाम उन जातियों के दृष्टि में अपवित्र न ठहरे, जिनके बीच वे रहते थे और जिनके देखते में मैंने अपने आपको इस्राएलियों पर प्रकट किया था. 10इसलिये मैं उन्हें मिस्र देश से निकालकर निर्जन प्रदेश में ले आया. 11मैंने उन्हें अपने नियम दिये और उन्हें अपना कानून बताया, जिनका यदि कोई व्यक्ति पालन करता है, तो वह जीवित रहेगा. 12मैंने उनके लिये अपने शब्बाथ20:12 शब्बाथ सातवां दिन जो विश्राम का पवित्र दिन है भी ठहराए, जो मेरे और उनके बीच एक चिन्ह हो, ताकि वे जानें कि मैं याहवेह ने उन्हें पवित्र बनाया है.

13“ ‘तो भी इस्राएल के लोगों ने निर्जन प्रदेश में मेरे विरुद्ध विद्रोह किया. वे मेरे नियमों पर नहीं चले और मेरे कानूनों को अस्वीकार किया—जिनका यदि कोई व्यक्ति पालन करता है, तो वह जीवित रहेगा—और उन्होंने पूरी तरह से मेरे विश्राम दिन को अपवित्र किया. इसलिये मैंने कहा कि मैं उन पर अपना कोप उंडेलूंगा और निर्जन प्रदेश में उन्हें नाश कर दूंगा. 14पर अपने नाम के निमित्त मैंने वह किया जिससे मेरा नाम उन जनताओं की दृष्टि में अपवित्र न ठहरे, जिनके देखते मैं उन्हें निकाल लाया था. 15अपना हाथ उठाकर निर्जन प्रदेश में, मैंने शपथ भी खाई कि मैं उन्हें उस देश में नहीं लाऊंगा, जिसे मैंने उन्हें दिया था—एक ऐसा देश जहां दूध और मधु की धाराएं बहती हैं, जो सब देशों से सुंदर है— 16इसका कारण यह था कि उन्होंने मेरे कानूनों को अस्वीकार किया और मेरे नियमों पर नहीं चले और मेरे विश्राम दिन को अपवित्र किया. क्योंकि उनका मन उनकी मूर्तियों पर लगा हुआ था. 17तौभी मैंने उन पर दया की और उन्हें नाश नहीं किया या निर्जन प्रदेश में उनका अंत नहीं किया. 18निर्जन प्रदेश में मैंने उनके बच्चों से कहा, “अपने माता-पिता के विधियों पर या उनके कानूनों पर मत चलो या उनके मूर्तियों से अपने आपको अशुद्ध मत करो. 19मैं याहवेह तुम्हारा परमेश्वर हूं; मेरे नियमों पर चलो और ध्यानपूर्वक मेरे कानूनों का पालन करो. 20मेरे विश्राम दिनों को पवित्र मानो, कि वे मेरे और तुम्हारे बीच एक चिन्ह ठहरें. तब तुम जानोगे कि मैं याहवेह तुम्हारा परमेश्वर हूं.”

21“ ‘परंतु उनके बच्चों ने भी मेरे विरुद्ध विद्रोह किया: वे मेरे नियमों पर नहीं चले, उन्होंने मेरे कानूनों का पालन करने में सावधानी नहीं बरती, जिनके बारे में मैंने कहा था, “वह व्यक्ति जो उनका पालन करेगा, वह जीवित रहेगा,” और उन्होंने मेरे विश्राम दिनों को अपवित्र किया. इसलिये मैंने कहा मैं उन पर अपना कोप उंडेलूंगा और निर्जन प्रदेश में उनको अपना क्रोध दिखाऊंगा. 22परंतु मैंने अपना हाथ रोके रखा, और अपने नाम के निमित्त मैंने वह किया, जिससे मेरा नाम उन जनताओं के दृष्टि में अपवित्र न ठहरे, जिनके देखते में, मैं उन्हें निकाल लाया था. 23निर्जन प्रदेश में, मैंने अपना हाथ उठाकर उनसे शपथ भी खाई कि मैं उन्हें जाति-जाति के लोगों के बीच छितरा दूंगा और विभिन्‍न देशों में तितर-बितर कर दूंगा, 24क्योंकि उन्होंने मेरे कानूनों का पालन नहीं किया और मेरे नियमों को अस्वीकार किया और मेरे विश्राम दिनों को अपवित्र किया, और उनकी आंखें उनके माता-पिता के मूर्तियों पर लगी रहीं. 25इसलिये मैंने उन्हें दूसरे विधि विधान दिये जो अच्छे नहीं थे और उन्हें ऐसे कानून दिये जिसके द्वारा वे जीवित नहीं रह सकते थे; 26मैंने उन्हें उनके ही उपहारों के द्वारा अशुद्ध किया—हर पहलौठा का बलिदान किया जाना—जिससे वे अत्यंत भयभीत हों और वे जानें कि मैं याहवेह हूं.’

27“इसलिये, हे मनुष्य के पुत्र, इस्राएल के लोगों से बात करो और उनसे कहो, ‘परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: इस पर भी तुम्हारे पूर्वजों ने मुझसे विश्वासघात करके मेरी निंदा की. 28जब मैं उन्हें उस देश में ले आया, जिसे मैंने उन्हें देने की शपथ खाई थी तो वे किसी ऊंची पहाड़ी या किसी पत्तीवाले पेड़ को देखकर, वहां अपना बलिदान और भेंट चढ़ाने लगे, और अपना सुगंधित धूप जलाकर पेय बलिदान देने लगे, जिससे मेरा क्रोध भड़का. 29तब मैंने उनसे कहा: यह ऊंचा स्थान क्या है जो तुम वहां जाते हो?’

विद्रोही इस्राएल का नवीकरण

30“इसलिये इस्राएलियों से कहो: ‘परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: क्या तुम लोग अपने पूर्वजों की तरह अपने आपको अशुद्ध करोगे और उनकी निकम्मी मूर्तियों के पीछे भागोगे? 31जब तुम अपनी भेटें चढ़ाते हो—अपने बच्चों का आग में बलिदान करते हो—तो ऐसा करने के द्वारा तुम आज तक अपने आपको अपनी सब मूर्तियों के द्वारा अशुद्ध करते आ रहे हो. तो हे इस्राएलियो, क्या मैं तुमको मुझसे पूछताछ करने दूंगा? मैं अपने जीवन की शपथ खाकर कहता हूं, मैं तुमको मुझसे पूछताछ करने नहीं दूंगा, परम प्रधान याहवेह की घोषणा है.

32“ ‘तुम कहते हो, “हम उन जाति-जाति और संसार के लोगों के समान होना चाहते हैं, जो लकड़ी और पत्थर की सेवा करते हैं.” पर तुम्हारे मन में जो है, वह कभी पूरा न होगा. 33मैं अपने जीवन की शपथ खाकर कहता हूं, परम प्रधान याहवेह की घोषणा है, मैं शक्तिशाली हाथ और बढ़ाए हुए भुजा और भड़के हुए कोप से तुम्हारे ऊपर शासन करूंगा. 34मैं तुम्हें उन जाति-जाति के लोगों और देशों से लाकर इकट्ठा करूंगा, जहां तुम बिखरे हुए हो—मैं तुम्हें शक्तिशाली हाथ और बढ़ाए हुए भुजा और भड़के हुए कोप से इकट्ठा करूंगा. 35मैं तुम्हें जनताओं के निर्जन प्रदेश में ले आऊंगा और वहां, आमने-सामने मैं तुम्हारा न्याय करूंगा. 36जैसा कि मैंने मिस्र देश के निर्जन प्रदेश में तुम्हारे पूर्वजों का न्याय किया था, वैसा ही मैं तुम्हारा न्याय करूंगा, परम प्रधान याहवेह की घोषणा है. 37जब तुम मेरी लाठी के अधीन चलोगे, तो मेरा ध्यान तुम पर रहेगा, और मैं तुम्हें वाचा के बंधन में लाऊंगा. 38मैं तुम्हें उनमें से हटाकर शुद्ध करूंगा, जो मेरे विरुद्ध विद्रोह और अपराध करते हैं. यद्यपि मैं उन्हें उस देश से निकालकर लाऊंगा, जहां वे रह रहे हैं, तौभी वे इस्राएल देश में प्रवेश न कर पाएंगे. तब तुम जानोगे कि मैं याहवेह हूं.

39“ ‘हे इस्राएल के लोगों, जहां तक तुम्हारा संबंध है, परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: तुममें से हर एक जन जाए और अपनी-अपनी मूर्तियों की सेवा करे! परंतु बाद में तुम निश्चित रूप से मेरी सुनोगे और फिर मेरे पवित्र नाम को अपने उपहारों और मूर्तियों से अशुद्ध नहीं करोगे. 40क्योंकि परम प्रधान याहवेह की घोषणा है, मेरे पवित्र पर्वत, इस्राएल के ऊंचे पर्वत पर, वहां देश में, इस्राएल के सारे लोग मेरी सेवा करेंगे, और वहां मैं उन्हें स्वीकार करूंगा. तब वहां मैं तुम्हारी भेंट और उत्तम उपहारों20:40 उत्तम उपहारों पहले फल का उपहार को तुम्हारे सब पवित्र बलिदानों सहित ग्रहण करूंगा. 41मैं तुम्हें एक सुगंधित धूप के रूप में ग्रहण करूंगा जब मैं तुम्हें जनताओं के बीच से निकाल लाऊंगा और उन देशों से तुम्हें इकट्ठा करूंगा, जहां तुम तितर-बितर हो गये हो, और मैं जाति-जाति के लोगों के दृष्टि में तुम्हारे द्वारा पवित्र ठहराया जाऊंगा. 42तब तुम जानोगे कि मैं याहवेह हूं, जब मैं तुम्हें इस्राएल देश में ले आऊंगा, वह देश जिसे मैंने तुम्हारे पूर्वजों को देने की हाथ उठाकर शपथ खाई थी. 43वहां तुम अपने चालचलन और उन सब कामों को याद करोगे, जिनके द्वारा तुमने अपने आपको अशुद्ध किया है, और अपने द्वारा किए गए सब बुरे कामों के कारण, तुम अपने आपसे घृणा करोगे. 44हे इस्राएल के लोगों, जब मैं तुम्हारे बुरे कार्यों और तुम्हारे भ्रष्‍ट आचरण के अनुसार नहीं, परंतु अपने नाम के निमित्त तुमसे व्यवहार करूंगा, तब तुम जानोगे कि मैं याहवेह हूं, परम प्रधान याहवेह की घोषणा है.’ ”

दक्षिण के विरुद्ध भविष्यवाणी

45याहवेह का वचन मेरे पास आया: 46“हे मनुष्य के पुत्र, अपना चेहरा दक्षिण की ओर करो; दक्षिण के विरुद्ध प्रचार करो और दक्षिण देश के बंजर भूमि के विरुद्ध भविष्यवाणी करो. 47दक्षिण के बंजर भूमि से कहो: ‘याहवेह के वचन को सुनो. परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: मैं तुम पर आग लगाने ही वाला हूं, और यह तुम्हारे हरे और सूखे सब पेड़ों को जलाकर नष्ट कर देगी. धधकती ज्वाला नहीं बुझेगी, और दक्षिण से लेकर उत्तर तक हर चेहरा इससे झुलस जाएगा. 48हर एक जन देखेगा कि मैं याहवेह ने ही यह आग लगायी है; यह नहीं बुझेगी.’ ”

49तब मैंने कहा, “हे परम प्रधान याहवेह, वे लोग मेरे विषय में कह रहे हैं, ‘क्या वह मात्र दृष्टांत नहीं कह रहे हैं?’ ”