Песнь 73
Наставление Ософа.
1О Всевышний, зачем Ты навсегда отверг нас?
Почему гнев Твой возгорелся на овец пастбищ Твоих?
2Вспомни народ, который Ты приобрёл с давних времён,
который Ты искупил, чтобы он был Твоим наследием;
вспомни гору Сион, на которой Ты обитаешь.
3Направь Свои шаги к вековым развалинам –
всё разрушил враг во святилище!
4Враги Твои рычали посреди собрания Твоего,
установили там свои знамёна.
5Они размахивали своими топорами,
как дровосеки в густом лесу,
6и своими секирами и бердышами
разрушили все резные стены.
7Они сожгли святилище Твоё дотла,
осквернили место для поклонения Тебе.
8Решили они в сердце своём: «Уничтожим их полностью!» –
и по всей стране сожгли места,
где мы поклонялись Тебе.
9Знамений не видят наши глаза,
и не осталось пророков,
и нет никого, кто знал бы,
когда наступит этому конец.
10О Всевышний, как долго ещё будет глумиться враг,
и вечно ли будет противник оскорблять Твоё имя?
11Почему Ты удерживаешь Свою руку, Свою правую руку?
Высвободи кулак Свой и порази их!
12Всевышний, мой Царь от начала,
Ты принёс спасение на землю.
13Ты разделил Своей силой море,
Ты сокрушил головы морских чудовищ.
14Ты сокрушил голову левиафана73:14 Левиафан – морское чудовище, символ враждебных Всевышнему сил. См. пояснительный словарь.,
жителям пустынь отдав его в пищу.
15Ты иссёк источник и поток,
Ты иссушил бегущие реки.
16День и ночь – Твои;
Ты создал солнце и луну.
17Ты определил границы земли,
сотворил лето и зиму.
18Вспомни, о Вечный, как глумится враг
и как безумный народ оскорбляет Твоё имя.
19Не отдавай зверям душу Твоей горлицы;
жизней Твоих страдальцев не забудь никогда.
20Взгляни на Своё соглашение,
потому что насилие во всех тёмных уголках земли.
21Да не возвратится угнетённый с позором;
пусть бедный и нищий восхвалят Твоё имя.
22Восстань, Всевышний, и защити Своё дело;
вспомни, как глупец оскорбляет Тебя весь день.
23Не забудь крика Своих врагов,
шума, который непрестанно поднимают противники Твои.
كتاب سوم
(مزامير 73—89)
عدل و انصاف خدا
1براستی، خدا برای اسرائيل نيكوست يعنی برای آنانی كه پاكدل هستند. 2اما من نزديک بود ايمانم را از دست بدهم و از راه راست گمراه شوم. 3زيرا بر كاميابی بدكاران و شروران حسد بردم. 4ديدم كه در زندگی آنها درد و رنجی وجود ندارد، بدنی قوی و سالم دارند، 5مانند سايرين در زحمت نمیافتند و هيچ گرفتاری ندارند؛ 6در نتيجه با تكبر راه میروند و به مردم ظلم میكنند. 7قلبشان مملو از خباثت است و از فكرشان شرارت تراوش میكند. 8مردم را مسخره میكنند و حرفهای كثيف بر زبان میرانند. با غرور سخن میگويند و نقشههای شوم میكشند. 9به خدايی كه در آسمان است كفر میگويند و به انسانی كه بر زمين است فحاشی میكنند.
10-12خداشناسان گول زندگی پرناز و نعمت آنها را میخورند و میگويند: «خدا نمیداند بر اين زمين چه میگذرد. به اين مردم شرور نگاه كنيد! ببينيد چه زندگی راحتی دارند و چگونه به ثروت خود میافزايند.»
13پس آيا من بیجهت خود را پاک نگه داشتهام و نگذاشتهام دستهايم به گناه آلوده شوند؟ 14نتيجهای كه هر روز از اين كار عايدم میشود رنج و زحمت است.
15ولی اگر اين فكرهايم را بر زبان میآوردم، جزو مردم خداشناس محسوب نمیشدم. 16هر چه فكر كردم نتوانستم بفهمم كه چرا بدكاران در زندگی كامياب هستند؛ 17تا اينكه به خانهٔ خدا رفتم و در آنجا به عاقبت كار آنها پی بردم. 18ای خدا، تو بدكاران را بر پرتگاههای لغزنده گذاشتهای تا بيفتند و نابود شوند. 19آری، آنها ناگهان غافلگير شده، از ترس قالب تهی خواهند كرد. 20آنها مانند خوابی هستند كه وقتی انسان بيدار میشود از ذهنش محو شده است؛ همچنين وقتی تو ای خداوند، برخيزی آنها محو و نابود خواهند شد!
21وقتی من به اين حقيقت پی بردم، از خود شرمنده شدم! 22من احمق و نادان بودم و نزد تو ای خدا، مانند حيوان بیشعور رفتار كردم! 23اما تو هنوز هم مرا دوست داری و دست مرا در دست خود گرفتهای! 24به صلاحديد خود مرا در زندگی هدايت خواهی كرد و در آخر مرا به حضور پرجلالت خواهی پذيرفت. 25ای خدا، من تو را در آسمان دارم؛ اين برای من كافی است و هيچ چيز ديگر بر زمين نمیخواهم. 26اگرچه فكر و بدنم ناتوان شوند، اما تو ای خدا، قوت و تكيهگاه هميشگی من هستی!
27خدا كسانی را كه از او دور شوند و به او خيانت كنند، نابود خواهد كرد. 28اما من از اينكه نزديک تو هستم لذت میبرم! ای خداوند، من به تو توكل نمودهام و تمام كارهايت را میستايم!