1 Царств 23 – CARSA & HCV

Священное Писание (Восточный перевод), версия с «Аллахом»

1 Царств 23:1-28

Давуд спасает город Кейлу

1Когда Давуду сказали: «Послушай, филистимляне воюют против города Кейлы и грабят гумна», 2он спросил Вечного:

– Пойти ли мне и напасть ли на этих филистимлян?

Вечный ответил ему:

– Пойди, напади на филистимлян и спаси Кейлу.

3Но люди Давуда сказали ему:

– Мы находимся в страхе даже здесь, в Иудее. Что же будет, если мы двинемся в Кейлу против войск филистимлян?

4Давуд ещё раз спросил Вечного, и Вечный ответил ему:

– Спустись в Кейлу, потому что Я отдаю филистимлян в твои руки.

5И Давуд со своими людьми пришёл в Кейлу, сразился с филистимлянами и увёл их скот. Он нанёс филистимлянам тяжёлые потери и спас жителей Кейлы. 6(А Авиатар, сын Ахи-Малика, принёс с собой ефод, когда прибежал к Давуду в Кейлу.)

Шаул преследует Давуда

7Шаулу донесли, что Давуд пришёл в Кейлу, и он сказал:

– Аллах отдал его мне, ведь Давуд сам запер себя, войдя в город с воротами и засовами.

8И Шаул созвал для битвы весь народ, чтобы сойти в Кейлу и осадить в нём Давуда вместе с его людьми.

9Когда Давуд узнал, что Шаул задумал против него зло, он сказал священнослужителю Авиатару:

– Принеси ефод.

10Давуд сказал:

– Вечный, Бог Исраила, Твой раб услышал, что Шаул собирается прийти в Кейлу и разорить город из-за меня. 11Выдадут ли меня ему жители Кейлы? Придёт ли сюда Шаул, как слышал Твой раб? Вечный, Бог Исраила, молю Тебя, скажи Твоему рабу!

Вечный ответил:

– Придёт.

12Давуд спросил опять:

– Выдадут ли ему жители Кейлы меня и моих людей?

Вечный ответил:

– Выдадут.

13Давуд и его люди, которых было около шестисот человек, покинули Кейлу и скитались где могли. Когда Шаулу донесли, что Давуд бежал из Кейлы, он отменил поход.

14Давуд был в неприступных местах в пустыне, в горах пустыни Зиф. Изо дня в день Шаул искал Давуда, но Аллах не отдавал Давуда ему в руки.

15Давуд был в Хореше, в пустыне Зиф, когда узнал, что Шаул ищет его и хочет убить. 16А сын Шаула, Ионафан, пришёл к Давуду в Хореш и помог ему укрепиться в Аллахе.

17– Не бойся, – сказал он. – Рука моего отца Шаула не найдёт тебя. Ты будешь царём над Исраилом, а я буду вторым после тебя. Даже мой отец Шаул это знает.

18Затем они оба заключили перед Вечным союз. И Ионафан пошёл домой, а Давуд остался в Хореше.

19Зифиты поднялись к Шаулу в Гиву и сказали:

– Давуд скрывается у нас в неприступных местах Хореша, на горе Хакила, к югу от Иешимона. 20Сойди, царь, когда это будет тебе угодно, а уж мы выдадим его тебе.

21Шаул ответил:

– Благословенны вы у Вечного за то, что пожалели меня! 22Ступайте и удостоверьтесь ещё раз. Разведайте, где Давуд обычно ходит и кто видел его там. Мне говорят, что он очень хитёр. 23Разведайте все его укрытия, где он прячется, и возвращайтесь ко мне с достоверными сведениями. Тогда я пойду с вами; если он ещё в стране, то я его найду, даже если мне придётся искать среди всех кланов Иудеи.

24Они отправились в путь и пришли в Зиф перед Шаулом. Давуд и его люди были в пустыне Маон, что в Иорданской долине, к югу от Иешимона. 25Шаул и его люди принялись искать, и когда об этом сказали Давуду, он спустился к скале и оставался в пустыне Маон. Когда Шаул услышал об этом, он погнался за Давудом в пустыню Маон.

26Шаул шёл по одной стороне горы, а Давуд со своими людьми – по другой. Давуд спешил скрыться от Шаула, а Шаул и его люди шли в обход к Давуду и его людям, чтобы схватить их. 27Тогда к Шаулу пришёл вестник, который сказал:

– Скорее возвращайся! Филистимляне совершили набег на землю.

28Шаул прекратил преследовать Давуда и пошёл на филистимлян. Вот почему это место было названо Села-Махлекот («скала разделения»).

Hindi Contemporary Version

1 शमुएल 23:1-29

दावीद द्वारा काइलाह नगर की सुरक्षा

1दावीद को सूचना दी गई, “फिलिस्तीनियों ने काइलाह नगर पर हमला कर दिया है, और वे वहां के खलिहानों को लूट रहे हैं.” 2तब दावीद ने याहवेह से पूछा, “क्या में जाकर इन फिलिस्तीनियों से युद्ध करूं?”

याहवेह ने दावीद को उत्तर दिया, “जाओ, फिलिस्तीनियों का संहार करो, और काइलाह नगर को मुक्त करो.”

3मगर दावीद के साथियों ने उनसे कहा, “विचार कीजिए, यहां यहूदिया में ही रहते हुए हम पर उनका आतंक छाया हुआ है. काइलाह पहुंचकर हमारी स्थिति क्या होगी, जब हम फिलिस्तीनी सेना के आमने-सामने होंगे!”

4तब दावीद ने पुनः याहवेह से पूछा, और उन्हें याहवेह की ओर से यह उत्तर प्राप्‍त हुआ, “जाओ, फिलिस्तीनियों पर हमला करो क्योंकि मैं फिलिस्तीनियों को तुम्हारे अधीन कर दूंगा.” 5इसलिये दावीद और उनके साथी काइलाह गए और फिलिस्तीनियों से युद्ध किया, उनके पशु उनसे छीनकर उन्हें पूरी तरह हरा दिया. इस प्रकार दावीद ने काइलाह निवासियों को सुरक्षा प्रदान की. 6(जब अहीमेलेख के पुत्र अबीयाथर भागकर दावीद के पास गए, वह अपने साथ पवित्र परिधान एफ़ोद भी ले गए थे.)

दावीद पुनः चतुराई से शाऊल से बच निकले

7जब शाऊल को सूचित किया गया कि दावीद काइलाह आए हुए हैं, शाऊल ने विचार किया, “अब तो परमेश्वर ने दावीद को मेरे वश में कर दिया है, क्योंकि अब वह ऐसे नगर में जा छिपा है, जो दीवारों से घिरा हुआ है और जिसमें प्रवेश द्वार भी है.” 8तब शाऊल ने अपनी संपूर्ण सेना का आह्वान किया, कि वे काइलाह नगर को जाकर दावीद और उनके साथियों को बंदी बना लें.

9दावीद यह जानते थे कि शाऊल उनके बुरे की युक्ति कर रहे हैं. यह जानकर दावीद ने पुरोहित अबीयाथर से विनती की, “एफ़ोद लेकर यहां आइए!” 10तब दावीद ने यह प्रार्थना की, “याहवेह इस्राएल के परमेश्वर, आपके सेवक को यह निश्चित समाचार मिला है कि शाऊल मेरे कारण संपूर्ण काइलाह नगर को नष्ट करने के लक्ष्य से यहां आने की योजना बना रहे हैं. 11मुझे बताइए, क्या, नगर के पुरनिए मुझे उनके हाथों में सौंप देंगे? क्या हमें प्राप्‍त सूचना के अनुसार शाऊल यहां आएंगे? याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर, कृपा करें और अपने सेवक को इस विषय में सूचित करें.”

याहवेह ने उत्तर दिया, “शाऊल अवश्य आएगा.”

12तब दावीद ने उनसे पूछा, “क्या, काइलाह के नगर के पुरनिए मुझे और मेरे साथियों को शाऊल के हाथों में सौंप देंगे?”

याहवेह ने उत्तर दिया, “वे तुम्हें उनके हाथों में सौंप देंगे.”

13तब दावीद और उनके साथी, जो संख्या में लगभग छः सौ थे, काइलाह नगर छोड़ चले गए, और वनों में स्थान बदलते हुए घूमते रहे. जब शाऊल को यह सूचना मिली कि दावीद काइलाह नगर छोड़ चुके हैं, उन्होंने अपना अभियान छोड़ दिया.

14दावीद ने निर्जन प्रदेश के गढ़ों में रहना शुरू कर दिया, जो ज़ीफ़ के पहाड़ी इलाके में थे. दावीद की खोज करते रहना शाऊल का नियम हो गया था, मगर परमेश्वर ने दावीद को उनके हाथों में पड़ने नहीं दिया.

15जब दावीद होरशा क्षेत्र में ज़ीफ़ के वनों में छिपे हुए थे, उन्हें यह पता हो गया था कि शाऊल उनके प्राणों की खोज में निकल पड़े हैं. 16शाऊल के पुत्र योनातन होरशा में दावीद से भेंटकरने आए और उन्हें परमेश्वर में मजबूत किया. 17उन्होंने दावीद से कहा, “डरना नहीं, मेरे पिता तुम तक पहुंच नहीं सकेंगे. इस्राएल के होनेवाले शासक तुम हो और मैं तुम्हारा सहायक रहूंगा. वस्तुतः मेरे पिता को इस बात की पूरी पता है.” 18उन्होंने याहवेह के सामने परस्पर वाचा बांधी. दावीद होरशा में ही रहे, मगर योनातन अपने घर लौट गए.

19कुछ ज़ीफ़ निवासियों ने गिबियाह में शाऊल को यह सूचना दी, “दावीद हमारे क्षेत्र में होरशा के गढ़ों में जेशिमोन के दक्षिण में, हकीलाह की पहाड़ियों में छिपे हुए हैं. 20तब महाराज, आप जब चाहें यहां आ जाएं, और अपने हृदय की इच्छा पूरी करें. हम अपनी ओर से दावीद को महाराज के हाथों में सौंपने की पूरी कोशिश करेंगे.”

21शाऊल ने उत्तर दिया, “आप लोगों ने मुझ पर जो दया दिखाई है, उसके लिए याहवेह आपको आशीष प्रदान करें. 22जाइए और जाकर इस तथ्य की पुष्टि कर लीजिए: ठीक-ठीक यह ज्ञात कीजिए कि वह कहां छिपा हुआ है और किसने उसे वहां देखा है; क्योंकि मुझे प्राप्‍त सूचना के अनुसार वह बहुत ही चालाक व्यक्ति है. 23जाकर उन सारे छिपने योग्य स्थानों को देखो, उन्हें पहचान लो, जहां वह दुबका रहता है, तब लौटकर आओ और मुझे निश्चित सूचना दो. तभी मैं तुम्हारे साथ चलूंगा; यदि वह वास्तव में इसी क्षेत्र में है, तो मैं उसे यहूदिया के कुलों से ढूंढ़ निकालूंगा.”

24तब वे शाऊल के पूर्व ज़ीफ़ नगर पहुंच गए. इस समय दावीद और उनके साथी जेशिमोन के दक्षिण के अराबाह में माओन की मरुभूमि में थे. 25शाऊल और उनके साथी दावीद की खोज में निकल पड़े. दावीद को किसी ने इसकी सूचना दे दी, तब दावीद माओन की मरुभूमि में पर्वत की चट्टानों में जा छिपे. शाऊल को इस विषय में भी सूचना दे दी गई. वह दावीद का पीछा करने निकल पड़े.

26शाऊल और उनके साथी पर्वत की एक ओर चल रहे थे, दावीद और उनके साथी पर्वत की दूसरी ओर. दोनों के मध्य था पर्वत. दावीद की कोशिश थी कि वह शीघ्र, अति शीघ्र, शाऊल के साथियों से दूर निकल जाएं, क्योंकि वे उनके निकट आते जा रहे थे. 27उसी समय एक संदेशवाहक ने आकर शाऊल को सूचना दी, “कृपया तुरंत लौट आएं! फिलिस्तीनियों ने हमारे देश पर हमला कर दिया है.” 28तब शाऊल ने दावीद का पीछा करना छोड़ फिलिस्तीनियों से युद्ध करने चले गए. इस घटना के कारण उस स्थान का नाम ही सेला हम्माहलेकोथ अर्थात् विभाजक चट्टान पड़ गया. 29दावीद ने वह क्षेत्र छोड़ दिया, और जाकर एन-गेदी के गढ़ों में रहने लगे.