1В то время, – возвещает Вечный, – кости царей и правителей Иудеи, кости священнослужителей, пророков и жителей Иерусалима будут выброшены из могил. 2Их раскидают под солнцем, луной и звёздами, которые они любили, которым служили и следовали, которые вопрошали и которым поклонялись. Их не соберут и не захоронят; они будут, как отбросы, валяться на земле. 3Куда бы Я ни изгнал всех уцелевших из этого злого народа, они смерть предпочтут жизни, – возвещает Вечный, Повелитель Сил.
Грех и наказание
4– Скажи им: Так говорит Вечный:
«Разве те, кто упал, не пытаются встать?
Разве те, кто сбился с пути, не возвращаются?
5Почему же этот народ отвернулся от Меня?
Почему же Иерусалим всегда отворачивается от Меня?
Они крепко держатся за ложь
и отказываются вернуться.
6Я внимал и слушал,
но они не говорят правды.
Никто не кается в беззаконии,
говоря: „Что я сделал?“
Каждый держится своего пути,
точно конь, мчащийся на битву.
7Даже аист в небе
знает свои сроки,
и горлица, и ласточка, и журавль
знают время перелёта.
Но Мой народ не знает
Закона Вечного.
8Как вы можете говорить: „Мы мудры,
и Закон Вечного у нас“,
когда на самом деле в ложь превращает его
лживое перо писарей?
9Опозорятся мудрецы,
ужаснутся и запутаются в силках.
Если они отвергли слово Вечного,
то в чём же их мудрость?
10За это Я отдам их жён другим
и их поля – новым владельцам.
Все они, от малого до великого,
жаждут наживы;
от пророка и до священнослужителя –
все поступают лживо.
11Лечат серьёзную рану Моего народа так,
как будто это простая царапина.
„Мир, мир“, – говорят,
а мира нет.
12Не стыдно ли им за их мерзости?
Нет, им ни капли не стыдно,
и они не краснеют.
За это падут они среди павших,
будут повержены, когда Я накажу их, –
говорит Вечный. –
13Я уничтожу их урожай, –
возвещает Вечный. –
Ни гроздьев не останется на лозе,
ни плодов – на инжире,
и увянут их листья.
То, что Я дал им,
будет у них отобрано».
14Что же мы сидим?
Собирайтесь!
Побежим в укреплённые города;
там и погибнем!
Вечный, наш Бог, обрёк нас на погибель
и поит нас водой отравленной,
потому что мы согрешили против Него.
15Ждём мы мира,
а ничего доброго нет;
ждём времени исцеления,
а вместо этого – ужасы.
16Уже в Дане слышен
храп вражьих коней;
от ржания их жеребцов
содрогается земля.
Враг пришёл разрушить
страну и всё, что в ней есть,
город и всех, кто живёт в нём.
17– Вот Я насылаю на вас гадюк,
ядовитых змей, против которых нет заклинаний,
и они будут вас жалить, –
возвещает Вечный.
18Нет мне утешения в скорби,
изнемогает сердце моё.
19Слышен вопль моего народа
из далёкой страны:
«Неужели Вечный не на Сионе?
Неужели там больше нет Царя?»
– Зачем они досаждали Мне своими идолами,
ничтожными, чужеземными? – говорит Вечный.
20– Жатва прошла,
кончилось лето,
а мы всё не спасены.
21Из-за страданий моего народа я страдаю;
я скорблю, и объял меня ужас.
22Неужели нет бальзама в Галааде?8:22 Галаад славился своим целебным бальзамом из смолы мастикового дерева.
Неужели там нет врача?
Так почему же не исцеляются
раны моего народа?
1خداوند میفرمايد: «در آن وقت، دشمن قبرهای پادشاهان و بزرگان يهودا، قبرهای كاهنان، انبیا و ساكنان اورشليم را شكافته، استخوانهايشان را بيرون خواهد آورد، 2و روی زمين در مقابل بتهايشان، آفتاب و ماه و ستارگان، پهن خواهد كرد بتهايی كه مورد پرستش و علاقهٔ آنان بود و از آنها پيروی میكردند. آن استخوانها ديگر جمعآوری و دفن نخواهند شد، بلكه مانند فضلهٔ حيوانات بر روی زمين خواهند ماند. 3كسانی كه از اين قومِ فاسد زنده بمانند، به هر جايی كه ايشان را پراكنده كرده باشم مرگ را بر زندگی ترجيح خواهند داد.»
گناه و مكافات
4خداوند فرمود تا به قومش چنين بگويم: «كسی كه میافتد، آيا دوباره بلند نمیشود؟ كسی كه راه را اشتباه میرود، آيا به راه راست باز نمیگردد؟ 5پس چرا قوم من، اهالی اورشليم، دچار گمراهی هميشگی شدهاند؟ چرا به بتهای دروغين چسبيدهاند و نمیخواهند نزد من بازگردند؟ 6به گفتگوی آنها گوش دادم، ولی يک حرف راست نشنيدم! هيچكس از گناهش پشيمان نيست؟ هيچكس نمیگويد: ”چه كار زشتی مرتكب شدهام؟“ بلكه مثل اسبی كه با سرعت به ميدان جنگ میرود، همه با شتاب به سوی راههای گناهآلودشان میروند! 7لکلک میداند چه وقت كوچ كند؛ همينطور فاخته، پرستو و مرغ ماهیخوار؛ هر سال در زمانی كه خدا تعيين كرده است، همهٔ آنها باز میگردند؛ ولی قوم من زمان بازگشت خود را نمیدانند و از قوانين من بیاطلاع هستند.
8«چگونه میگوييد كه دانا هستيد و قوانين مرا میدانيد، در حالی که معلمان شما آنها را تغيير دادهاند تا معنی ديگری بدهند؟ 9اين معلمانِ به ظاهر دانای شما برای همين گناه تبعيد شده، شرمنده و رسوا خواهند شد. آنها كلام مرا رد كردهاند؛ آيا دانايی اين است؟ 10بنابراين زنان و مزرعههای ايشان را به ديگران خواهم داد؛ چون همهٔ آنها از كوچک تا بزرگ طمعكارند؛ حتی انبیا و كاهنان نيز فقط در پی آنند كه مال مردم را به فريب تصاحب كنند. 11آنها زخمهای قوم مرا میپوشانند گويی چيز چندان مهمی نيست؛ میگويند: ”آرامش برقرار است!“ در حالی که آرامشی وجود ندارد. 12آيا قوم من از بتپرستی شرمندهاند؟ نه، ايشان هرگز احساس شرم و حيا نمیكنند! از اين رو من ايشان را مجازات خواهم كرد و ايشان جان داده، در ميان كشتگان خواهند افتاد.»
13خداوند میفرمايد: «من تمام محصول زمين ايشان را نابود خواهم ساخت؛ ديگر خوشهای بر درخت مو و انجيری بر درخت انجير ديده نخواهد شد؛ برگها نيز پژمرده میشوند! هر آنچه به ايشان دادهام، از ميان خواهد رفت.»
14آنگاه قوم خدا خواهند گفت: «چرا اينجا نشستهايم؟ بياييد به شهرهای حصاردار برويم و آنجا بميريم؛ زيرا خداوند، خدای ما، ما را محكوم به نابودی كرده و جام زهر داده تا بنوشيم، چون ما نسبت به او گناه ورزيدهايم. 15برای صلح و آرامش انتظار كشيديم، ولی خبری نشد. چشم به راه شفا و سلامتی بوديم، ولی وحشت و اضطراب گريبانگير ما شد.»
16صدای اسبان دشمن از دان، مرز شمالی، شنيده میشود؛ صدای شيهه اسبان نيرومندشان، همه را به لرزه انداخته است؛ چون دشمن میآيد تا اين سرزمين و شهرها و اهالی آن را نابود سازد.
17خداوند میفرمايد: «من نيروهای دشمن را مانند مارهای سمی به جان شما خواهم انداخت مارهايی كه نمیتوانيد افسونشان كنيد؛ هر چه تلاش كنيد، باز شما را گزيده، خواهند كشت.»
اندوه ارميا برای قومش
18درد من، درمان نمیپذيرد! دل من بيتاب است! 19گوش كنيد! نالههای قوم من از هر گوشهٔ سرزمين شنيده میشود! آنها میپرسند: «پس خداوند كجاست؟ آيا پادشاه ما سرزمينمان را ترک گفته است؟»
خداوند جواب میدهد: «چرا با پرستيدن بتها و خدايان غريب خود، خشم مرا شعلهور كرديد؟»
20قوم با اندوه میگويند: «فصل برداشت محصول گذشت؛ تابستان آمد و رفت؛ ولی ما هنوز نجات نيافتهايم!»
21دل من به خاطر صدمات و جراحات قومم، خونين است؛ از شدت غم و غصه، ماتم زده و حيرانم. 22آيا در جلعاد8:22 جلعاد منطقهای بود واقع در شرق رود اردن که برای گياهان دارويیاش شهرت داشت. دارويی نيست؟ آيا در آنجا طبيبی پيدا نمیشود؟ پس چرا قوم من شفا نمیيابد؟