Забур 66 – CARS & HCV

Священное Писание

Забур 66:1-8

Песнь 66

1Дирижёру хора. На струнных инструментах. Песнопение.

2Будь милостив к нам, Всевышний, и благослови нас;

озари нас светом лица Своего, Пауза

3чтобы земля познала Твои пути,

все народы – Твоё спасение.

4Да прославят Тебя народы, Всевышний;

да прославят Тебя все народы!

5Пусть племена ликуют, поют от радости,

потому что Ты судишь народы по справедливости

и управляешь племенами земли. Пауза

6Да прославят Тебя народы, Всевышний;

да прославят Тебя все народы!

7Земля принесла свой урожай;

да благословит нас Всевышний, Бог наш!

8Да благословит нас Всевышний,

чтобы боялись Его все концы земли.

Hindi Contemporary Version

स्तोत्र 66:1-20

स्तोत्र 66

संगीत निर्देशक के लिये. एक गीत. एक स्तोत्र.

1संपूर्ण पृथ्वी हर्षोल्लास में, परमेश्वर का जय जयकार करे!

2परमेश्वर की महिमा के तेज का गुणगान करो;

महिमा का भजन गाकर उनका स्तवन करो.

3परमेश्वर से कहो, “कैसे आश्चर्यजनक हैं आपके महाकार्य!

ऐसी अतुलनीय है आपकी सामर्थ्य,

कि आपके शत्रु आपके सामने संकुचित होकर झुक जाते हैं.

4संपूर्ण पृथ्वी आपके सामने नतमस्तक हो जाती है;

सभी देश आपका स्तवन गान करते हैं,

वे आपकी महिमा का स्तवन गान करते हैं.”

5आकर स्वयं देख लो कि परमेश्वर ने क्या-क्या किया है,

कैसे शोभायमान हैं मनुष्य के हित में किए गए उनके कार्य!

6उन्होंने समुद्र को सूखी भूमि में बदल दिया,

जब वे नदी पार कर रहे थे तो उनके पांव सूखी भूमि पर पड़ रहे थे.

आओ, हम प्रभु में आनंद मनाएं.

7सामर्थ्य में किया गया उनका शासन सर्वदा है,

सभी राष्ट्र उनकी दृष्टि में बने रहते हैं,

कोई भी उनके विरुद्ध विद्रोह का विचार न करे.

8सभी जातियों, हमारे परमेश्वर का स्तवन करो,

उनके स्तवन का नाद सर्वत्र सुनाई दे;

9उन्होंने ही हमारे जीवन की रक्षा की है

तथा हमारे पांवों को फिसलने से बचाया है.

10परमेश्वर, आपने हमारी परीक्षा ली;

आपने हमें चांदी जैसे परिशुद्ध किया है.

11आपने हमें उलझन की परिस्थिति में डालकर,

हमारी पीठ पर बोझ लाद दिए.

12आपने हमारे शत्रुओं को हमारे सिर कुचलते हुए जाने दिया;

हमें अग्नि और जलधारा में से होकर जाना पड़ा,

किंतु अंततः आपने हमें समृद्ध भूमि पर ला बसाया.

13मैं आपके मंदिर में अग्निबलि के साथ प्रवेश करूंगा,

और आपसे की गई अपनी प्रतिज्ञाएं पूर्ण करूंगा.

14वे सभी प्रतिज्ञाएं,

जो विपत्ति के अवसर पर स्वयं मैंने अपने मुख से की थी.

15मैं आपको पुष्ट पशुओं की बलि अर्पण करूंगा,

मैं मेढ़ों, बछड़ों और बकरों

की बलि अर्पण करूंगा.

16परमेश्वर के सभी श्रद्धालुओ, आओ और सुनो;

मैं उन महाकार्य को लिखा करूंगा, जो मेरे हित में परमेश्वर द्वारा किए गए हैं.

17मैंने उन्हें पुकारा,

मेरे होंठों पर उनका गुणगान था.

18यदि मैंने अपने हृदय में अपराध को संजोए रखकर,

उसे पोषित किया होता, तो परमेश्वर ने मेरी पुकार न सुनी होती;

19किंतु परमेश्वर ने न केवल मेरी प्रार्थना सुनी;

उन्होंने उसका उत्तर भी दिया है.

20धन्य हैं परमेश्वर,

जिन्होंने मेरी प्रार्थना सुनकर उसे अस्वीकार नहीं किया,

और न मुझे अपने करुणा-प्रेम से छीन लिया!