Забур 60 – CARS & HCV

Священное Писание

Забур 60:1-9

Песнь 60

1Дирижёру хора. На струнных инструментах. Песнь Давуда.

2Всевышний, услышь мой крик,

внемли молитве моей!

3С края земли я к Тебе взываю;

сердце моё в унынии.

Возведи меня на скалу, которая мне недоступна,

4ведь Ты – прибежище моё,

крепкая башня от врага.

5Да живу я вечно в храме Твоём

и под кровом крыльев Твоих покоюсь. Пауза

6Всевышний, Ты услышал мои обеты;

Ты дал мне наследие тех, кто боится Твоего имени.

7Умножь дни жизни царя,

продли его годы из поколения в поколение.

8Да восседает он вечно перед Всевышним;

сохрани его Своей милостью и истиной.

9И буду я Твоё имя воспевать всегда,

день за днём исполняя мои обеты.

Hindi Contemporary Version

स्तोत्र 60:1-12

स्तोत्र 60

संगीत निर्देशक के लिये. “शूशन एदूथ” धुन पर आधारित. दावीद की मिकताम60:0 शीर्षक: शायद साहित्यिक या संगीत संबंधित एक शब्द गीत रचना. यह सिखाए जाने के लिए. लिखा गया है. यह उस स्थिति का संदर्भ है जब दावीद अरम-नहरयिम और अरम-ज़ोबाह देशों से युद्धरत थे. उसी समय सेनापति योआब ने नमक की घाटी में लौटते हुए बारह हजार एदोमी सैनिकों को नाश किया था.

1परमेश्वर, आपने हमें शोकित छोड़ दिया, मानो आप हम पर टूट पड़े हैं;

आप हमसे क्रोधित हो गए हैं. अब हमें पुनः अपना लीजिए!

2आपने पृथ्वी को कंपाया था, धरती फट गई थी;

अब जोड़कर इसे शांत कर दीजिए, क्योंकि यह कांप रही है.

3आपने अपनी प्रजा को विषम परिस्थितियों का अनुभव कराया;

आपने हमें पीने के लिए वह दाखमधु दी, जिसके सेवन से हमारे पांव लड़खड़ा गए,

4किंतु अपने श्रद्धालुओं के लिए आपने एक ध्वजा ऊंची उठाई है,

कि वह सत्य के प्रतीक स्वरूप प्रदर्शित की जाए.

5अपने दायें हाथ से हमें छुड़ाकर हमें उत्तर दीजिए,

कि आपके प्रिय पात्र छुड़ाए जा सकें.

6परमेश्वर ने अपने पवित्र स्थान में घोषणा की है:

“अपने विजय में मैं शेकेम को विभाजित करूंगा

तथा मैं सुक्कोथ घाटी को नाप कर बंटवारा कर दूंगा.

7गिलआद पर मेरा अधिकार है, मनश्शेह पर मेरा अधिकार है;

एफ्राईम मेरे सिर का रखवाला है,

यहूदाह मेरा राजदंड है.

8मोआब राष्ट्र मेरे हाथ धोने का पात्र है,

और एदोम राष्ट्र पर मैं अपनी पादुका फेंकूंगा;

फिलिस्तिया के ऊपर उच्च स्वर में जयघोष करूंगा.”

9कौन ले जाएगा मुझे सुदृढ़-सुरक्षित नगर तक?

कौन पहुंचाएगा मुझे एदोम नगर तक?

10परमेश्वर, क्या आप ही नहीं, जिन्होंने हमें अब शोकित छोड़ दिया है

और हमारी सेनाओं को साथ देना भी छोड़ दिया है?

11शत्रु के विरुद्ध हमारी सहायता कीजिए,

क्योंकि किसी भी मनुष्य द्वारा लायी गयी सहायता निरर्थक है.

12परमेश्वर के साथ मिलकर हमारी विजय सुनिश्चित होती है,

वही हमारे शत्रुओं को कुचल डालेगा.