Третья речь Елифаза
1Тогда ответил Елифаз из Темана:
2– Может ли человек принести пользу Всевышнему?
Даже самый разумный – может ли принести Ему пользу?22:2 Или: «принесёт пользу лишь самому себе».
3Что за радость Всемогущему
от твоей праведности?
Что за выгода Ему
от твоей безгрешности?
4За благочестие ли Он тебя осуждает
и вступает с тобою в суд?
5Должно быть, порочность твоя велика,
и проступкам твоим нет конца.
6Ты брал без причины с братьев залог,
ты снимал одежду с полунагих.
7Ты усталому не давал воды
и отказывал в пище голодному,
8хотя ты был властным человеком и владел землёй,
и знатный на ней селился.
9Ты и вдов отсылал ни с чем,
и сирот оставлял с пустыми руками.
10Потому и сети вокруг тебя,
потому и внезапный ужас страшит,
11потому и глаза тебе застилает тьма,
и разлив многих вод тебя захлестнул.
12Разве Всевышний не превыше небес?
Взгляни на звёзды, как они высоки!
13Но ты говоришь: «Что знает Всевышний?
Разве может судить Он сквозь мглу?
14Сокрыт облаками, Он нас не видит,
проходя по своду небес».
15Неужели ты держишься пути,
по которому издревле шли беззаконники?
16Они были до срока истреблены,
их основания унёс поток.
17Они говорили Всевышнему: «Оставь нас!
Что может сделать нам Всемогущий?» –
18а Он наполнял добром их дома.
Итак, помыслы нечестивых мне отвратительны.
19Увидев их гибель, ликуют праведные;
непорочные смеются над ними, говоря:
20«Поистине, истреблён наш враг,
и огонь пожирает его добро».
21Примирись же со Всевышним – и обретёшь мир;
так придёт к тебе благополучие.
22Прими наставление Его уст
и в сердце слова Его сохрани.
23Если ты вернёшься к Всемогущему
и удалишь неправду от своего шатра,
то будешь восстановлен.
24Если пылью сочтёшь ты золото,
камнями речными – золото из Офира,
25то Всемогущий станет твоим золотом,
твоим серебром отменным.
26Ты возликуешь о Всемогущем
и поднимешь к Всевышнему свой взор.
27Когда ты помолишься, Он услышит,
и ты исполнишь свои обеты.
28Как ты задумаешь, так и сбудется,
и на пути твоём воссияет свет.
29Если кто унижен будет, а ты скажешь: «Возвысь!» –
то Всевышний спасёт павшего духом.
30Он спасёт даже виновного,
спасёт ради чистоты твоих рук.
گفتگوی سوم
(22:1—27:23)
اليفاز سخن میگويد: گناه ايوب بزرگ است
1آنگاه اليفاز تيمانی پاسخ داد:
2آيا از انسان فايدهای به خدا میرسد؟ حتی از خردمندترين انسانها نيز فايدهای به او نمیرسد! 3اگر تو عادل و درستكار باشی آيا نفع آن به خدا میرسد؟ 4اگر تو خداترس باشی آيا او تو را مجازات میكند؟ 5هرگز! مجازات تو برای شرارت و گناهان بیشماری است كه در زندگی مرتكب شدهای! 6تو بدون شک از دوستان محتاجی كه به تو مقروض بودند تمام لباسهایشان را گرو گرفته، چيزی برايشان باقی نگذاشتهای. 7به تشنگان آب ندادهای و شكم گرسنگان را سير نكردهای، 8هر چند تو آدم توانگر و ثروتمندی بودی و املاک زيادی داشتی. 9بيوهزنان را دست خالی از پيش خود رانده و به يتيمان رحم نكردهای. 10-11برای همين است كه اكنون دچار دامها و ترسهای غيرمنتظره شدهای و ظلمت و امواج وحشت، تو را فرا گرفتهاند.
12خدا بالاتر از آسمانها و بالاتر از بلندترين ستارگان است. 13ولی تو میگويی: «خدا چگونه میتواند از پس ابرهای تيره، اعمال مرا مشاهده و داوری كند؟ 14ابرها او را احاطه كردهاند و او نمیتواند ما را ببيند. او در آن بالا، بر گنبد آسمان حركت میكند.»
15آيا میخواهی به راهی بروی كه گناهكاران در گذشته از آن پيروی كردهاند؟ 16كسانی كه اساس زندگيشان فرو ريخت و نابهنگام مردند؟ 17زيرا به خدای قادر مطلق گفتند: «ای خدا از ما دور شو! تو چه كاری میتوانی برای ما انجام دهی؟» 18در حالی که خدا خانههايشان را سرشار از بركت ساخته بود. بنابراين من خود را از راههای شروران دور نگه خواهم داشت. 19-20درستكاران و بیگناهان هلاكت شروران را میبينند و شاد شده، میخندند و میگويند: «دشمنان ما از بين رفتند و اموالشان در آتش سوخت.»
21ای ايوب، از مخالفت با خدا دست بردار و با او صلح كن تا لطف او شامل حال تو شود. 22دستورات او را بشنو و آنها را در دل خود جای بده. 23اگر به سوی خدا بازگشت نموده، تمام بديها را از خانهٔ خود دور كنی، آنگاه زندگی تو همچون گذشته سروسامان خواهد گرفت. 24اگر طمع را از خود دور كنی و طلای خود را دور بريزی، 25آنگاه خدای قادر مطلق خودش گنج و نقرهٔ خالص برای تو خواهد بود! 26به او اعتماد خواهی كرد و از وجود او لذت خواهی برد. 27نزد او دعا خواهی نمود و او دعای تو را اجابت خواهد كرد و تو تمام نذرهايت را به جا خواهی آورد. 28دست به هر كاری بزنی موفق خواهی شد و بر راههايت هميشه نور خواهد تابيد. 29اگر كسی به تو حمله كند و تو را به زمين افكند، میدانی كسی هست كه دوباره تو را بلند كند. بلی، او فروتنان را نجات میدهد؛ 30پس اگر فروتن شده، خود را از گناه پاکسازی او تو را خواهد رهانيد.